नॉर्वे: Pfizer Vaccine लगाने के बाद 29 बुजुर्गों की मौत, सभी की उम्र 75 साल या उससे अधिक

कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ दुनियाभर के कई देशों में महाअभियान चलाकर लोगों को वैक्सीन (Corona Vaccine) लगाई जा रही है। लेकिन इस बीच फाइजर वैक्सीन (Pfizer Vaccine) को लेकर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि नॉर्वे में कोरोना वैक्सीन लगाने के बाद 29 लोगों की मौत हो चुकी है। इनकी उम्र 75 साल या उससे अधिक थी। इससे यह बहस शुरू हो गई है कि क्या दुनियाभर में बुजुर्गों को वैक्सीन लगाने के प्लान को बदलना होगा? क्या फाइजर की वैक्सीन का इस्तेमाल बुजुर्गों के लिए जानलेवा है? क्या और भी देशों में इस तरह के मामले सामने आए हैं?

नए साल से 4 दिन पहले नॉर्वे (Norway) में फाइजर वैक्सीन (Pfizer Vaccine) लगाने की शुरुआत हुई थी। अब तक 33 हजार से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। वहां सिर्फ फाइजर की mRNA वैक्सीन को अप्रूवल मिला है। इसका ही इस्तेमाल बुजुर्गों पर हो रहा है। इस वैक्सीन का इस्तेमाल अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप समेत कई देश कर रहे हैं। वहां भी गंभीर साइड इफेक्ट सामने आए हैं।

वैक्सीनेशन के बाद के शुरुआती दिनों में 23 बुजुर्गों की मौत हुई जिनकी उम्र 80 साल या उससे अधिक थी। शनिवार को छह मौतें और हो गईं। इसके बाद बताया जा रहा है कि 75 साल के बुजुर्ग भी डेंजर जोन में हैं।

डायरेक्‍टर स्‍टेइनार मैडसेन (Steinar Madsen) ने कहा, 'जांच में पता चला है कि जिन लोगों की मौत हुई है उनमें से ज्यादातर कमजोर या बुजुर्ग थे, जो नर्सिंग होम में रहते थे। मृतकों की उम्र 80 साल से ज्यादा है और उनमें कुछ 90 साल से अधिक भी हैं।' उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि इनमें से कुछ लोगों को वैक्सीन (Corona Vaccine) लगवाने के बाद बुखार और बेचैनी का सामना करना पड़ा होगा। इसके बाद वे गंभीर रूप से बीमार हो गए और फिर उनकी मौत हो गई।'

नॉर्वे में इस्तेमाल हो रही वैक्सीन बनाने वाली कंपनी फाइजर ने कहा है कि वह जर्मन कंपनी बायोएनटेक के साथ इन मौतों की जांच कर रहा है। वैसे, अब तक जो सामने आया है, उसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है। NIPH ने भी अपनी जांच में पाया कि वैक्सीनेशन के दौरान इस तरह की मौतें अलार्मिंग नहीं हैं। इसी वजह से उसने युवाओं और स्वस्थ लोगों के लिए वैक्सीनेशन को जारी रखा है।