कोलकाता। कोलकाता की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को पिछले महीने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के मुख्य आरोपी संजय रॉय का नार्को टेस्ट कराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने आरोपी का नार्को टेस्ट कराने के लिए अदालत से अनुमति मांगी थी।
नार्को परीक्षण, जिसे नार्को एनालिसिस के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रकार का जांच उपकरण है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति को सम्मोहन या अर्धचेतन अवस्था में लाने वाली दवा देकर उससे जानकारी निकालने के लिए किया जाता है। इस्तेमाल की जाने वाली दवा आमतौर पर सोडियम पेंटोथल होती है, जिसे सत्य सीरम के रूप में जाना जाता है।
यह दवा व्यक्ति की आत्म-चेतना को कम करती है, जिससे वह अधिक स्वतंत्र रूप से और बिना किसी बाधा के बोल पाता है, जिससे जांचकर्ताओं के लिए व्यक्ति से सही उत्तर प्राप्त करना आसान हो जाता है।
संजय रॉय को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था, एक दिन पहले सरकारी आरजी कर अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर का अर्धनग्न शव मिला था, जिसके बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। वह कोलकाता की प्रेसिडेंसी जेल में बंद है।
पिछले हफ्ते, कोलकाता की एक अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और उसकी न्यायिक हिरासत 20 सितंबर तक बढ़ा दी गई थी।
गुरुवार को सीबीआई ने संजय रॉय के दांतों के निशान और लार के नमूने एकत्र किए। अपराध में उसकी संलिप्तता के बारे में स्पष्टता प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षु डॉक्टर के शरीर पर पाए गए काटने के निशानों से इनका मिलान किया
जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में प्रशिक्षु डॉक्टर का शव मिलने के बाद फोरेंसिक विशेषज्ञों ने उसके शरीर पर काटने के कई निशान पाए हैं। सीबीआई साक्ष्यों का पता लगाने और उनकी जांच के लिए केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की मदद ले रही है।