भीलवाड़ा : पैदा होते ही नवजात को लेना पड़ा वेंटिलेटर का सहारा, संक्रमित मां की मौत जबकि मासूम ने जीती जंग

काेराेना की दूसरी लहर के बीच कई नजारे ऐसे देखने को मिले जो आंखें नम कर देने वाले थे। ऐसा ही एक दुर्लभ मामला सामने आया हैं भीलवाड़ा के महात्मा गांधी अस्पताल से जहां एक नवजात को पैदा होते ही वेंटिलेटर का सहारा लेना पड़ा और उसने काेराेना काे हराकर जिंदगी की जंग जीत ली। लेकिन इस मामले में दुखद खबर यह रही कि संक्रमित मां की डिलीवरी के सात दिन बाद माैत हाे गई। ऐसे में अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ ने दिन-रात नवजात का ध्यान रखा और उसे बचा लिया। अभी यह नवजात महज 22 दिन का है।

एमसीएच प्रभारी व शिशु राेग विशेषज्ञ डाॅ. इंदिरा सिंह ने बताया कि जन्म के बाद से नवजात राेया नहीं ताे उसे वेंटिलेटर पर लिया गया। नवजात काे सांस लेने में परेशानी हाेने पर काेराेना पाॅजिटिव मानकर आईसोलेट कर उपचार शुरू किया। बच्चे की हालत इतनी खराब थी कि थाेड़ी देर के लिए भी वेंटिलेटर से नहीं हटा सकते थे। मां की काेराेना से माैत के बाद परिवार अंतिम संस्कार में लग जाने से बच्चे काे संभालने काेई भी नहीं आया। डाॅक्टर व एसएनसीयू टीम ने देखभाल व उपचार किया। अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ्य है और उसकी काेराेना की रिपाेर्ट भी निगेटिव आ गई और मंगलवार काे उसे डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। डाॅ. जगदीश साेलंकी, डाॅ. इंदिरा सिंह व एसएनसीयू की पूरी टीम ने देखरेख में उपचार किया गया।

डाॅ. इंदिरा सिंह ने बताया कि बच्चे काे जन्म के बाद मां काे देखा तक नहीं। मां काेराेना पाॅजिटिव हाेने के कारण एमजी अस्पताल में भर्ती कर दिया गया था। वहां पर ही उपचार किया जा रहा था। नवजात वेंटिलेटर पर हाेने से दस दिन तक ताे दूध पिलाने की जरूरत बहुत ही कम पड़ी। जब ठीक हाे गया ताे उसे डिस्चार्ज हाेने तक मदर मिल्क बैंक से दूध पिलाया गया। नवजात काे नई जिंदगी मिलने पर पिता ने सभी डाॅक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ व एसएससी की टीम का आभार प्रकट करते हुए कहा कि अाप ने मेरे बेटे काे नया जीवन दिया है।