नई दिल्ली। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातक) या नीट-यूजी का आयोजन एनटीए द्वारा 5 मई को किया गया था, जिसमें लगभग 24 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। परिणाम 4 जून को घोषित किये गये, लेकिन इसके बाद बिहार जैसे राज्यों में प्रश्नपत्र लीक होने के अलावा अन्य अनियमितताओं के आरोप भी सामने आये।
एनएसयूआई का विरोध प्रदर्शन उस दिन हुआ, जब अध्यक्ष द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पेपर लीक की हालिया घटनाओं की निष्पक्ष जांच के लिए प्रतिबद्ध है।
राष्ट्रपति ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा, चाहे प्रतियोगी परीक्षाएं हों या सरकारी भर्ती, किसी भी तरह की बाधा नहीं आनी चाहिए। इस प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता और ईमानदारी की आवश्यकता होती है। हाल ही में कुछ परीक्षाओं में पेपर लीक होने की घटनाओं के संबंध में, मेरी सरकार निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी सजा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रतियोगी परीक्षाओं को रद्द करने और अनियमितताओं के आरोपों को लेकर राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को भारी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। पिछले हफ़्ते सरकार ने एनटीए के महानिदेशक सुबोध कुमार सिंह को हटाकर उनकी जगह प्रदीप सिंह खरोला को नियुक्त किया था।
सरकार ने परीक्षा सुधारों पर विचार करने और परीक्षण एजेंसी के कामकाज की समीक्षा करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के राधाकृष्णन के नेतृत्व में सात सदस्यीय पैनल का गठन किया है।
दो अन्य परीक्षाएँ - सीएसआईआर-यूजीसी नेट और नीट पीजी - भी सरकार ने पिछले सप्ताह एहतियात के तौर पर रद्द कर दी थीं।