आंकड़े चौंकाने वाले, आने वाले 10 सालों में बाढ़ से 16000 मौतें, 47000 करोड़ की होगी बर्बादी

केरल 94 साल की सबसे भयानक बाढ़ की तबाही से इस वक्त जूझ रहा है। 350 से ज़्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 8 लाख से ज़्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। राज्य के 14 में से 11 ज़िलों में रेड अलर्ट जारी किया गया था जिसे अब वापस ले लिया गया है। इडुक्की और एर्नाकुलम राज्य के बाक़ी हिस्सों से पूरी तरह कट गए हैं। पानी भरने की वजह से कोच्चि एयरपोर्ट 26 अगस्त तक बंद कर दिया गया है। लेकिन उसकी जगह कोच्ची नेवल एयरबेस सोमवार से कमरशियल फ्लाइट के लिए इसेतमाल किया जा सकेगा। विभिन्न राज्य सरकारों के साथ ही अमीर, गरीब, नेता, अभिनेता यहां तक छोटे-छोटे बच्चे अपनी-अपनी तरह से मदद को आगे आ रहे हैं। दुनिया के कई देशों खासकर खाड़ी देशों ने भी आर्थिक सहायता के लिए हाथ बढ़ाया है।

अगले 10 साल में बाढ़ की वजह से 16,000 लोगों की मौत हो जाएगी


- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए Ndma) ने आने वाले 10 सालों में बारिश और बाढ़ से विनाश का एक अनुमान लगाया है, जिसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
- एनडीएमए का अनुमान है कि अगले 10 साल के दौरान देशभर में बाढ़ की वजह से 16,000 लोगों की मौत हो जाएगी और 47,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति बर्बाद होगी।
- सरकार का पूरा जोर आपदा खतरे में कमी (डीआरआर) लाने और आपदा से बचाव पर है। भारत के पास काफी अडवांस्ड सैटलाइट और पूर्व चेतावनी प्रणाली है, जिसकी मदद से मौसम का पूर्वानुमान लगाते हुए मौतों की संख्या में कमी लाई जा सकती है। इसके बावजूद अब तक सारी कवायद कागज पर नजर आती है। जब भी कोई आपदा सामने आती है, तो एनडीएमए ज्यादातर गाइडलाइन जारी करने, सेमिनार का आयोजन और बैठकें बुलाने तक सीमित दिखती है।
- गृह मंत्रालय ने हाल ही में देश के 640 जिलों में आपदा के खतरों के बारे में एक आंकलन किया है। डीआरआर के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन के आधार पर एक नैशनल रिजिल्यन्स इंडेक्स (एनआरआई) तैयार किया गया है। इसमें जोखिम का आंकलन, जोखिम से रोकथाम और आपदा के दौरान राहत जैसे मापदंड शामिल हैं। अध्ययन के मुताबिक हम अभी शुरुआती स्टेज में हैं और आपदा से जूझने में हमारा स्तर बहुत नीचे है। इसमें बहुत अधिक सुधार की जरूरत है।- रिपोर्ट के मुताबिक, 'ज्यादातर राज्यों ने अब तक खतरों का विस्तृत राज्यवार आंकलन, आपदा के बदलते जटिल स्वरूप और उससे बचाव के बारे में कोई काम नहीं किया है। राज्यों द्वारा किया गया आंकलन बहुत मामूली स्तर पर है और इसमें जिला या गांव के स्तर पर गहरे अध्ययन का अभाव है।'
- एनडीएमए की रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश को छोड़कर किसी भी राज्य ने विस्तृत रूप से आपदा के खतरों का आंकलन नहीं किया है। साथ ही इस काम में किसी प्रफेशनल एजेंसी से मदद नहीं ली गई। रिपोर्ट के मुताबिक, 'गुजरात ने एक दशक पहले आपदा के खतरों का विस्तार से आंकलन किया था लेकिन बाद में इसमें कोई अपडेट नहीं हुआ, न ही इसे आम जनता के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया गया।'