टरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) से जुड़े एक अंतरिक्षयान सोयुज एमएस-09 में कुछ तकनीकी खराबी आ गई थी। पहले तो इसमें से रिसाव होने लगा था, इसके बाद इसमें एक बड़ा छेद हो गया। रूस के दो अंतरिक्षयात्री ओलेग कोनोशेंको और सर्गेई प्रोकोप्येव अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर निकलकर उसके उस हिस्से का जायजा लिया जहा रहस्यमयी छिद्र हुआ था। सुबह करीब 11 बजे स्पेस स्टेशन से बाहर निकले और अंतरिक्ष में कदम रखते हुए, कभी गेंद की तरह उछते हुए उस जगह पहुंचे जहां स्पेसयान में छेद हो गया था। स्पेस स्टेशन से बाहर आने की प्रक्रिया को स्पेसकॉक कहा जाता है।
स्पेसवॉक के लिए पहले पूरी रणनीति तैयार की जाती है। धरती पर बैठे नासा के वैज्ञानिक पूरी स्पेसवॉक पर नजर रखते हैं और एस्ट्रोनॉट को निर्देश देते रहते हैं।
7.45 घंटे लंबी स्पेसवॉकनासा ने मंगलवार को हुए स्पेसवॉक का लाइव टेलीकास्ट भी किया, जिसे लाखों लोगों ने देखा। नासा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस स्पेसवॉक के वीडियो तथा फोटो भी शेयर किए हैं। रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (Roscosmos) के मुताबिक, यह स्पेसवॉक 7 घंटे, 45 मिनट तक चली। स्पेसवॉक सुबह 10.59 बजे शुरू हुई थी और शाम 6.44 बजे खत्म हुई। चालक दल के सदस्यों ने तुरंत उस छिद्र का पता लगा लिया और उस छोटे छिद्र को बंद कर दिया। इसके चलते दबाव में हल्की कमी आयी थी। अंतरिक्ष अधिकारियों ने बताया कि स्टेशन अब संचालन के लिहाज से सुरक्षित है।
रूसी एस्ट्रोनॉट ओलेग कोनोशेंको की यह चौथी, जबकि सर्गेई प्रोकोप्येव की दूसरी स्पेसवॉक थी। बीते 29 अगस्त के अंत में अंतरिक्ष स्टेशन पर प्रेशर लीक महसूस हुआ था जिसके बाद पता चला कि समस्या सोयुज में है। रिसाव के स्रोत को खोजने के कुछ घंटों के अंदर एक्सपेंडिशन 56 के क्रू ने छेद को सील कर दिया और स्टेशन पर तब से स्थिर दबाव बना हुआ था। यह 2 एमएम का एक छेद था।
अपने स्पेसवॉक में ओलेग कोनोशेंको और सर्गेई प्रोकोप्येव ने पहले तो पूरे स्पेसयान सोयुज का बाहर से निरक्षण किया और फिर एक जगह पर उन्होंने स्पेसयान की काफी देर तक मरम्मत की। नासा के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्री परिक्रमा करती हुई लैबोरेटरी की असेंबली और रखरखाव में सहायता के लिए स्टेशन के बाहर कुल 54 दिन, 16 घंटे और 40 मिनट बिता चुके हैं। अब इसमें मंगलवार को हुए स्पेसवॉक के 7 घंटे और जुड़ गए हैं।