21 अक्टूबर को अंतरिक्ष विज्ञान का नया इतिहास रचेंगी ये 2 महिलाए, एक-साथ करेंगी ये काम

अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में पहले ऐसा नहीं हुआ जो अब होने वाला है। पहली बार 2 महिला एस्ट्रोनॉट्स एकसाथ अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) के बाहर आकर अंतरिक्ष में चहलकदमी करेगी यानि स्पेसवॉक (Spacewalk) करेगी। 21 अक्टूबर को एस्ट्रोनॉट जेसिका मीर और क्रिस्टीना कोच ISS से बाहर निकलेंगी और स्पेस स्टेशन के सोलर पैनल में लगी लिथियम ऑयन बैटरी को बदलेंगी। इससे पहले महिलाओं की स्पेसवॉक का प्रोग्राम मार्च महीने में था लेकिन स्पेससूट न होने की वजह से टाल दिया गया था। बता दे, मार्च में स्पेसवॉक रद्द होने के बाद से अब तक अंतरिक्ष स्टेशन पर तीन स्पेससूट पहुंचाए जा चुके हैं। अब एकसाथ तीन अंतरिक्षयात्री एकसाथ स्पेसवॉक कर सकते हैं, लेकिन सिर्फ दो-दो एस्ट्रोनॉट्स का प्लान बनाया गया है। तीसरा बैकअप सपोर्ट में तैयार रहता है।

दरअसल, इस महीने यानि अक्टूबर में 5 स्पेसवॉक किए जाएंगे जिसमें स्पेस स्टेशन पर मौजूद चारों अंतरिक्ष यात्री बाहर निकल कर स्पेस स्टेशन की मरम्मत करेंगे। ये सभी अक्टूबर महीने में अलग-अलग तारीखों पर स्पेसवॉक करेंगे। इनके अलावा पांच स्पेसवॉक नवंबर और दिसंबर में रखी गई हैं। इस समय अंतरिक्ष स्टेशन पर जेसिका मीर, क्रिस्टीना कोच, एंड्रयू मॉर्गन, ओलेग स्क्रीपोचा, एलेक्जेंडर स्कवोर्तसोव और लूका परमितानो हैं।

इन तारीखों पर होगी स्पेसवॉक

- 11 अक्टूबरः क्रिस्टीना कोच और एंड्रयू मॉर्गन स्पेस स्टेशन से बाहर निकल कर सोलर एैरे में लगे लिथियन ऑयन बैटरी बदलेंगे।

- 16 अक्टूबरः जेसिका मीर और एंड्रयू मॉर्गन स्पेस स्टेशन से बाहर निकल कर सोलर एैरे में लगी लिथियन ऑयन बैटरी को बदलेंगे।

- 21 अक्टूबरः जेसिका मीर और क्रिस्टीना कोच ISS से बाहर निकलेंगी और स्पेस स्टेशन के सोलर एैरे में लगी लिथियन ऑयन बैटरी को बदलेंगी।

- 25 अक्टूबरः जेसिका मीर और लूका परमितानो स्पेस स्टेशन से बाहर निकल कर सोलर एैरे में लगी लिथियन ऑयन बैटरी को बदलेंगे।

- 31 अक्टूबरः ओलेग स्क्रीपोचा और एलेक्जेंडर स्कवोर्तसोव भी स्पेस स्टेशन ने बाहर निकलकर मरम्मत का काम करेंगे।

स्पेसवॉक करने वालों की होती है कठिन ट्रेनिंग

बता दे, स्पेसवॉक करने के लिए नासा समेत सभी अंतरिक्ष एजेंसियां अपने एस्ट्रोनॉट्स को स्पेशल ट्रेनिंग देती है। इस दौरन उनकों स्पेससूट पहनाया जाता है उसी समय उनको इस तरह माइक्रोगैविटी की भी ट्रेनिंग दी जाती है। क्योंकि अंतरिक्ष का वातावरण बिल्कुल अलग होता है। पृथ्वी से करीब 421 किमी ऊपर आपको अंतरिक्ष के माहौल के अनुसार काम करना होता है।