
म्यांमार में 28 मार्च को आए 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई, खासकर मांडले और सगाइंग क्षेत्रों में। इस आपदा के दौरान, जब सैकड़ों मुस्लिम रमजान के अंतिम जुमे की नमाज अदा कर रहे थे, अचानक धरती कांप उठी और कई मस्जिदें ध्वस्त हो गईं। इस दर्दनाक घटना में कई लोगों की जान चली गई, जबकि सैकड़ों घायल हो गए। चश्मदीदों के अनुसार, भूकंप के तेज झटकों से मस्जिदों की छतें गिरने लगीं, जिससे कई नमाजियों की मौके पर ही मौत हो गई। मांडले के एक निवासी ने बताया कि जब वे नमाज अदा कर रहे थे, तभी अचानक झटके महसूस हुए। कुछ लोग भागने लगे, लेकिन कई वहीं रह गए, जिससे मस्जिद की छत गिरने से तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
सबसे अधिक नुकसान मांडले और सगाइंग मेंस्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, मांडले में करीब 50 से अधिक मस्जिदें प्रभावित हुईं और 100 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है। हालांकि, आधिकारिक आंकड़े अभी जारी नहीं किए गए हैं। बर्मा ह्यूमन राइट्स नेटवर्क के अनुसार, सगाइंग में राहत कार्यों में लगे कई युवा भी इस त्रासदी का शिकार हो गए। मांडले के 75वें, 34वें और 35वें स्ट्रीट के बीच स्थित एक मस्जिद में नमाज के दौरान छत गिरने से करीब 10 लोगों की मौत हो गई। वहीं, सगाइंग में पांच मस्जिदें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं, जिनमें से चार पूरी तरह ढह गईं। यह हादसा रमजान के पवित्र महीने के अंतिम शुक्रवार को हुआ, जब बड़ी संख्या में लोग, विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे, मस्जिदों में नमाज अदा करने पहुंचे थे।
पुरानी मस्जिदों की जर्जर स्थिति पर सवालइस भूकंप के बाद पुरानी मस्जिदों की हालत को लेकर भी बहस छिड़ गई है। कई मस्जिदें 150 साल से भी अधिक पुरानी थीं, लेकिन सरकारी नीतियों के कारण इन्हें मरम्मत की अनुमति नहीं मिली थी। म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख सीनियर जनरल मिन आंग हलिंग ने बताया कि इस भूकंप में अब तक 144 लोगों की मौत और 732 के घायल होने की पुष्टि हुई है। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।