बिहार में चमकी बुखार का कहर, 155 बच्चों की मौत, एक्शन में नितीश सरकार, सीनियर रेजिडेंट सस्पेंड

बिहार में चमकी बुखार यानि एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की वजह से अब तक 155 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है और केवल मुजफ्फरपुर में 120 बच्चों की जान चली गई है। 16 जिलों में दिमागी बुखार (एईएस) के मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को बताया कि एक जून से राज्य में एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 626 मामले दर्ज किए गए हैं। बिहार में लगातार चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत पर पूरा देश आक्रोशित है। ऐसे में बिहार और केंद्र सरकार पर चौतरफा दबाव पड़ रहा है। बिहार की नीतीश सरकार ने पहली बार चमकी बुखार के संबंध में कार्रवाई करते हुए श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भीमसेन कुमार कार्यस्थल पर लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। साथ ही प्रशासन का कहना है कि तैनाती के बाद भी बच्चों की मौत के मामले सामने आए और हालात पर काबू नहीं पाया जा सका। बिहार से स्वास्थ्य विभाग ने पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के बाल रोग विशेषज्ञ भीमसेन कुमार को 19 जून को एसकेएमसीएच में तैनात किया था। उनकी तैनाती के बाद भी अस्पताल में बच्चों की मौतों का सिलसिला नहीं रुका। बच्चों की मौत होती रही।

बता दे, मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने प्रभावितों जिलों में 8 एडवांस लाइफ सेविंग एंबुलेंस (एएलएस) तैनात करने के निर्देश दिए हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत गंभीर रोगियों को लाने-ले जाने के लिए आठ एक्स्ट्रा एडवांस लाइफ सेविंग एंबुलेंस सेवा में तैनात की गई हैं। 10 चाइल्ड स्पेशलिस्ट्स और पांच पैरा-मेडिक्स की केंद्रीय टीमों को मरीजों के इलाज के लिए तैनात किया गया है और इन टीमों ने राज्य सरकार के साथ तालमेल करते हुए काम करना शुरू कर दिया है।

सोशल मीडिया पर उबाल

चमकी बुखार से हो रही मौतों को लेकर पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। लोगों का गुस्सा सरकार और स्वास्थ्य विभाग दोनों पर फूट रहा है। सोशल मीडिया पर भी लोग तरह-तरह के पोस्ट कर रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार स्थिति से निपटने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है। बच्चों की मौत जारी है। मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है।

कोई लीची तो कोई चीन को ठहरा रहा है जिम्मेदार

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से बिहार में साल 2014 में 350 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हालांकि यह अब तक पता नहीं चला है कि एईएस फैलने का कारण क्या है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में पिछले एक महीने से पड़ रही भयंकर गर्मी से इसका ताल्लुक है। हालांकि कुछ स्टडीज में लीची को भी मौतों का जिम्मेदार ठहराया गया है। मुजफ्फरपुर लीची के लिए खासा मशहूर है। हालांकि कई परिवारों का कहना है कि उनके बच्चों ने हालिया हफ्तों में लीची नहीं खाई है।डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित गरीब परिवारों से आते हैं जो कुपोषण और पानी की कमी से जूझ रहे हैं।

वहीं बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी ने लोकसभा में चमकी बुखार का मामला उठाते हुए कहा कि बच्चों की मौत के लिए केवल लीची को दोष देना ठीक नहीं है। उन्होंने इस बीमारी के पीछे चीन की साजिश होने का भी शक जताया। राजीव प्रताप रूडी ने कहा, ''बिहार में एक घटना हुई है जिसमें 110 बच्चों की मौत हो गई है। चिंता का विषय है। सरकार पूरी ताकत से लगी हुई है, हम मृतकों के परिवार के साथ हैं। हमें दुख है और सभी 10 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। हम प्रयास कर रहे हैं। हम सभी राजनेता और जन प्रतिनिधि हैं। हम वैज्ञानिक नहीं हैं, डॉक्टर नहीं हैं।'' उन्होंने कहा 'अब समझना आवश्यक है कि लीची खाने से बच्चे मरे हैं या कोई और कारण है। कहीं यह साजिश तो नहीं है। चिंता का विषय सिर्फ इतना है कि लोग आज लीची खाना छोड़ रहे हैं। घरों में नहीं ला रहे हैं। लोगों तक सच्चाई पहुंचाने की जरूरत है कि इंस्फेलाटिस का कारण क्या था। ये बच्चे मरे तो क्यों मरे? क्या यह चीन के कारण...मैं आरोप नहीं लगा रहा हूं। कहीं यह साजिश नहीं हो। यही आग्रह करूंगा कि मुझे सच्चाई जाननी है। ताकि किसानों को नुकसान नहीं पहुंचे।'