मुंबई : जुमे की नमाज़ नहीं पढ़ने पर रिश्तेदारों ने करी 15 साल की नाबालिग़ लड़की की हत्‍या

मुंबई के अंटॉप हिल इलाके की एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। जुमे के दिन नमाज़ नहीं पढने पर रिश्तेदारों ने एक 15 साल की नाबालिग बच्ची को मार दिया। रिश्तेदारों की बार-बार नसीहत के बाद भी जब भांजी ने जुमे की नमाज़ अदा नहीं की तो गुस्से में आकर पीड़ित की मामी ने दुपट्टे से गला घोंटकर उसकी ह्त्या कर दी। पुलिस ने इस मामले में पीड़ित के तीन रिश्तेदारों को गिरफ्तार कर लिया है।

अपराध छुपाने के लिए झूठा बयान


- हत्‍या के बाद रिश्तेदारों ने अपराध छुपाने के लिए झूठा बयान दिया कि पीड़ित की मौत बाथरूम में फिसलने से हुई, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने रिश्तेदारों का झूठ पकड़ लिया।

- वरिष्ठ पुलिस अधिक्षक सुदर्शन पैठणकर ने बताया कि बच्‍ची के नमाज नहीं पढ़ने पर उसके रिश्‍तेदार गुस्‍से में आ गए और अपराध को अंजाम दिया।

पिता सदमे में


- पिता की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने और छोटी उम्र में ही मां के मौत के कारण पीड़ित बचपन से ही रिश्तेदारों के घर में रहती थी।

- वारदात की खबर सुनने के बाद से ही पिता सदमे में हैं और पछता रहे हैं कि अपनी बेटी को रिश्तेदारों के पास क्यों छोड़ा।

- मृतक लड़की के पिता का कहना है कि वो लोग कौन होते हैं मारने वाले? उसका बाबा अभी ज़िंदा था अगर नमाज़ नहीं पढ़ती तो मेरे पास भेज देते और बोलते की अपनी बेटी को नमाज़ पढ़ना सीखा लो, लेकिन वो लोग ऐसे किस्म के लोग है कि उनके पास जाना मतलब मार खा के वापस आना।

मुसलमानों के लिए क्यों ख़ास है जुमे की नमाज़

- मुसलमान होने की बुनियाद ही ये है कि कोई शख़्स अल्लाह को मानता हो और नमाज़ पढ़ता हो।

- इस्लाम में पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है और इसको बिलकुल भी छोड़ा नहीं जा सकता है।

- सफ़र में भी एक मुसलमान को नमाज़ पढ़ना ज़रूरी होता है लेकिन इस दौरान नमाज़ पढ़ने की प्रक्रिया छोटी कर दी जाती है।

- मसलन की सामान्य तौर पर नमाज़ पढ़ने के लिए जितना समय लगता है, सफ़र में वह आधा हो जाता है।

- नमाज़ पढ़ने के लिए किसी शख़्स का पाक (शरीर से लेकर कपड़े तक पर गंदगी न हो) होना ज़रूरी है। साथ ही जिस जगह पर वह नमाज़ पढ़े वो भी पाक हो।