उदयपुर। राजस्थान सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद ने आज 39 वीं बैठक में नोएडा की जेपी हिमाचल सीमेंट प्लांट के खिलाफ लगभग एक करोड़ रुपये का अवार्ड जारी कर उदयपुर की एमएसएमई इकाई फास्फेट इण्डिया को बड़ी राहत दी है।
उद्योग आयुक्त श्री कुंजी लाल मीणा ने बताया किकेन्द्र सरकार के एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से सामान प्राप्त करने वाले उद्योगों या संस्था को राशि का भुगतान 45 दिन में नहीं होने की स्थिति में संबंधित पक्ष उद्योग आयुक्त की अध्यक्षता में गठित सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद में वाद प्रस्तुत कर राहत प्राप्त कर सकते हैं।
एमएसएमईडी एक्ट 2006 के प्रावधानों के अनुसार 45 दिन में भुगतान नहीं करने वाले पक्ष को मूलधन एवं विलंबित अवधि की बैंक ब्याज दर की 3 गुणा दर से ब्याज का भुगतान करना होता है। उद्योग आयुक्त श्री कुंजी लाल मीणा की अध्यक्षता में गठित परिषद् के उद्योग आयुक्त श्री कुंजी लाल मीणा के अलावा संयोजक राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति श्री एन.सी. उप्रेती, उद्योग संघों के प्रतिनिधि श्री ताराचंद गोयल, श्री राजेन्द्र राठी व श्री योगेश गौतम सदस्य है।
उदयपुर कीफास्फेट इण्डिया ने जेपी हिमाचल सीमेंट को सप्लाई की गई रेड ओचेर के 45 लाख 34 हजार के भुगतान के लिए अपने स्तर पर काफी प्रयास करने के बाद सुविधा परिषद में आवेदन प्रस्तुत किया और आज सुविधा परिषद की 39 वीं बैठक में प्रकरण की सुनवाई कर मूल धन मय विलंबित अवधि के बैंक ब्याज दर की 3 गुणा दर से ब्याज का भुगतान करने का अवार्ड पारित किया है। खास बात यह है कि सुविधा परिषद द्वारा पारित अवार्ड की 75 फीसदी राशि कोर्ट में जमा कराकर ही इसकी अपील की जा सकती है। इससे छोटे उद्योगों को बड़ी राहत मिल पाती है।
उद्योग आयुक्त श्री मीणा ने बताया कि सुविधा परिषद के प्रयासों से डायनेस्टी माडूल्यर फर्नीचर जयपुर की इकाई को अलवर की द मेक कोटिंग से एक लाख 82 हजार का भुगतान प्राप्त हो गया। उन्होंने बताया कि परिषद का प्रयास आपसी समझाइस भुगतान विवादों का निपटारा कराने का प्रयास रहता है। उन्होंने बताया कि इससे दोनों ही इकाइयों को लाभ होता है और भुगतान विवाद का निपटारा हो जाता है।
परिषद की बैठक में उद्योग विभाग की और से अतिरिक्त निदेशक श्री पीके जैन और उपनिदेशक श्री एसएल पालीवाल व केएल स्वामी द्वारा प्रकरणों की विस्तार से जानकारी दी गई। बैठक में 28 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए थे, इनमें से चार प्रकरणों को समाप्त किया गया।