बड़ा खुलासा! चारधाम यात्रा में मारे गए 34 लोगों में से ज्यादातर को हुआ था कोरोना

चार धाम यात्रा को शुरू होने के दो हफ्ते के भीतर ही हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर और माउंटेन सिकनेस से कम से कम 34 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। जिनकी मौत हुई उनमें से ज्यादातर लोग पहले कोरोना से संक्रमित हो चुके थे। ऊंचाई वाली जगहों पर यात्रियों की मौत को देखते हुए प्रशासन ने एहतियात बढ़ाई है। उत्तराखंड में गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा में हर धाम में प्रतिदिन करीब 50 हजार लोग पहुंच रहे हैं और अब तक 13 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पंजीकरण करा चुके हैं।

क्या कहते है एक्सपर्ट्स?


सीनियर फिजिशियन डॉ प्रवीण पंवार बताते हैं कि काेरोना से जिनके फेफड़ों में ज्यादा संक्रमण हुआ था, उन्हें ऊंचाई वाली जगहों में दिक्कत होती है। गंभीर संक्रमण की वजह से फेफड़े सख्त हो जाते हैं और उनके फूलने की क्षमता भी कम हो जाती है। ऐसे में मैदान से आया व्यक्ति 3000 मीटर की ऊंचाई पर पहाड़ चढ़ते समय सांस लेने की जद्दोजहद कर रहा होता है तो फेफड़े ठीक से फूल नहीं पाते। इससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। डॉ प्रवीण पंवार का कहना है कि भले ही गंभीर संक्रमण से जूझ चुके मरीज भले ही ठीक हो गए हों, लेकिन कई मामलों में उनके फेफड़े अभी पूरी तरह से रिकवर नहीं हो पाए हैं। ऐसे में सलाह है कि ऐसे लोग ऊंचाई वाले इलाकों में जाने से बचें। इसीलिए यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य जांच के लिए नए मेडिकल कैंप भी बनाए गए हैं।

उधर, दून मेडिकल कॉलेज में श्वास रोग विभाग के एचओडी डॉ अनुराग अग्रवाल बताते हैं कि जिन लोगों को पिछले साल कोरोना हुआ था और उनके फेफड़ों में संक्रमण सीटी स्कैन में 12 पॉइंट से ज्यादा निकला था, उन्हें इस साल ऊंचाई वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए। ऐसे लोग ऊंचाई वाली जगह पर जाने से पहले यात्री एक्स-रे या सीटी स्कैन कराएं। छाती, या फेफड़ों में कोई तकलीफ निकले तो उन जगहों से जांच के लिए बलगम या टिश्यू सैंपल निकालने के लिए ब्रोन्कोस्कोपी का प्रयोग कर सकते हैं। ब्रोन्कोस्कोपी जांच पल्मोनोलॉजिस्ट (श्वास रोग विशेषज्ञ) की देखरेख में की जाती है। इस जांच से पता चल जाएगा कि फेफड़ों की हालत कैसी है। उसके आधार पर ही यात्रा करने या उससे बचने का फैसला कर सकते हैं।

यात्रा मार्ग पर पानी की किल्लत और लंबा जाम

श्रद्धालुओं को इस बार यात्रा के दौरान मार्ग पर बदइंतजामी भी देखने को मिल रही है। कहीं पानी की किल्लत है तो कहीं सात-सात किमी लंबा जाम है। कई लोग गाड़ियों में सो रहे हैं। आम लोगों को उम्मीद थी कि इस बार ऑल वेदर रोड बनने से चारधाम यात्रा में सहूलियत होगी। जाम नहीं लगेगा, लेकिन यात्रा रूट पर पड़ने वाले कई कस्बों में जबरदस्त जाम लग रहा है। रूद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी, पुरोला, जोशीमठ, नंद्रप्रयाग, श्रीनगर आदि कस्बों में पुलिस को जाम को व्यवस्थित करने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। भीड़ नियंत्रित करना और स्वास्थ्य सुविधा देना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। मौके का फायदा उठाते हुए होटल और रेस्त्रां मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। हालत ये हो गई है कि प्रशासन को ऐसे व्यापारियों की गिरफ्तारी के आदेश देने पड़े हैं। यह भी तय किया गया है कि बिना रजिस्ट्रेशन कराए पहुंचने वाले यात्रियों को ऋषिकेश से आगे जाने की इजाजत नहीं मिलेगी।