कई घंटों तक काम करना बन रहा जानलेवा, WHO की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

सभी अपनी रोजी-रोटी के लिए नौकरी या व्यवसाय करते हैं। लेकिन देखा जाता हैं कि कई लोग घंटों काम में लगे रहते हैं। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के नए अध्ययन में खुलासा हुआ हैं कि एक नीयत समय से ज्यादा काम करना जानलेवा साबित हो रहा हैं। 2000, 2010 और 2016 में हुए इन तीनों अध्ययनों में यह सामने आया है कि कार्यस्थल पर अन्य जोखिमों की तुलना में लंबे घंटों तक काम करने से ज्यादा बीमारियां पैदा हो रही हैं। 2016 में दुनियाभर में तकरीबन 49 करोड़ लोगों ने प्रति हफ्ते 55 घंटों से ज्यादा काम किया। शोधकर्ताओं का कहना है जिस प्रकार पिछली आर्थिक मंदी के बाद लोगों के कामकाज के घंटे बढ़ गए थे, वैसी ही प्रवृत्ति को अब कोरोना महामारी में बढ़ावा मिलने के आसार हैं।

अध्ययन के मुताबिक, वर्ष 2016 में एक हफ्ते में 55 घंटों से ज्यादा नौकरी करने वाले 7.45 लाख लोगों को जान गंवाई पड़ी। इनमें 3.98 लाख लोगों की स्ट्रोक (आघात) तो 3.47 लाख लोगों की हृदय रोग के कारण मौत हुई। वर्ष 2000 में ज्यादा समय तक काम करने के कारण 5.90 लाख लोग मरे थे। 2000 और 2016 के बीच देखा गया कि लंबे समय तक काम करने के कारण हृदय रोग से 42 फीसदी और स्ट्रोक से 19 फीसदी मौतें बढ़ी हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि नौकरी में मनोवैज्ञानिक दबाव, खराब खानपान, अच्छी नींद और कसरत के अभाव के कारण स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

विशेषज्ञों ने पाया है कि हफ्तेभर में 35-40 घंटों के मुकाबले 55 घंटे काम करने वालों में आघात का 35 फीसदी और हृदय रोग का 17 फीसदी ज्यादा खतरा होता है। लंबे समय तक काम करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। यह आदत अधिकांश लोगों में काम से संबंधित बीमारियों और समय से पहले मृत्यु का जोखिम बढ़ाती है।