केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने बृहस्पतिवार जी दावा किया है कि केंद्र सरकार मार्च 2019 तक गंगा के पानी की क्वालिटी में 70 से 80 प्रतिशत तक सुधार ले आयेगी। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कोई काम नहीं होने की छवि बदलने का प्रयास कर रहे गडकरी ने कहा, गंगा की सफाई पर इस वित्त वर्ष में 8 हजार करोड़ से 10 हजार करोड़ रुपये तक खर्च किया जाएगा, जिसमें नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत कई परियोजनाओं को पूरा कर लिया जाएगा। गंगा सफाई के कई प्रोजक्ट शुरू होने जा रहे हैं। गंगा के पानी को शुद्ध करके पावर प्लांट में देने की भी योजना है। सफाई के दौरान मीथेन भी निकाला जाएगा। 648 उद्योगो में प्रदूषण की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा रही है। गंगा में 70 फीसदी प्रदूषण 10 शहरों से आता है जहां खास ध्यान दिया जा रहा है। कानपुर शिशमऊ नाले का काम शुरू है। 17000 करोड़ रुपये की लागत से प्लांट लगाये जा रहे हैं। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर काम शुरू होने वाला है।
गडकरी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए नई दिल्ली समेत गंगा के बेसिन क्षेत्र में आने वाले शहरों कानपुर, वाराणसी और पटना आदि की मीडिया से बात करते हुए कहा कि गंगा को अगले साल दिसंबर के अंत तक पूरी तरह साफ कर लेने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, मेरा आकलन है कि हम इसके लिए रखे गए कुल बजट का 60 से 70 प्रतिशत खर्च कर लेंगे, जो 8 हजार से 10 हजार करोड़ रुपये तक रहेगा।
बता दें कि पिछले वित्त वर्ष के अंत तक क्लीन गंगा राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) सिर्फ 4254 करोड़ रुपये खर्च कर पाया था, जो 2015 में इसके तहत गंगा की सफाई के लिए रखे गए 20 हजार करोड़ रुपये के बजट का मात्र 20 प्रतिशत ही था। गंगा को पूरी तरह साफ करना केंद्र में सत्ताधारी भाजपा के उन प्रमुख चुनावी वादों में से एक था, जो उन्होंने आम चुनाव 2014 में जनता से किए थे।