मणिपुर उच्च न्यायालय को मिली पहली आदिवासी महिला न्यायाधीश,CJI ने की थी सिफारिश

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को मद्रास और मणिपुर के उच्च न्यायालयों में तीन न्यायाधीशों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की। इनमें एक न्यायिक अधिकारी भी शामिल है जो मणिपुर उच्च न्यायालय में न्यायाधीश बनने वाली अनुसूचित जनजाति की पहली महिला बन जाएंगी। वहीं केंद्र द्वारा स्वीकृत अन्य दो नाम अनुसूचित जाति और ओबीसी समुदायों से हैं।

10 जनवरी से सिफारिश को मंजूरी का था इंतजार

मणिपुर हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए एक न्यायिक अधिकारी गोलमेई गैफुलशिलु काबुई की नियुक्ति की गई। अधिसूचना 10 जनवरी से लंबित थी। वहीं दो अधिवक्ताओं एन सेंथिलकुमार और जी अरुल मुरुगन को मद्रास उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना शामिल थे, उन्होंने जुलाई में उनके नामों की सिफारिश की थी।

जानिए सेंथिलकुमार के पास है कितना अनुभव

अपने प्रस्ताव में कॉलेजियम ने कहा कि सेंथिलकुमार के पास बार में 28 वर्षों से अधिक का अनुभव है और उन्हें मद्रास हाई कोर्ट के साथ-साथ सत्र न्यायालय में पेश होने का अनुभव है। इसके अलावा वह संवैधानिक, आपराधिक, सेवा और सिविल मामले में अभ्यास कर रहे हैं।

मुरुगन के बारे में कॉलेजियम ने बताया कि उनका बार में 24 साल का अनुभव है और वह सिविल, आपराधिक और रिट मामलों में विशेषज्ञ हैं। वह ओबीसी श्रेणी के हैं। कॉलेजियम ने बताया कि न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति से ओबीसी को अधिक प्रतिनिधित्व की सुविधा मिलेगी।

अब हाई कोर्ट में 67 जज ओबीसी कैटेगरी से


तीनों नाम इस साल की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई 9 सिफारिशों के एक बैच का हिस्सा है, लेकिन केंद्र द्वारा अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया था। सबसे पुरानी अनुशंसा जनवरी से लंबित थी। मार्च में लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार 2018 से नियुक्त 575 उच्च न्यायालय न्यायाधीशों में से 67 ओबीसी श्रेणी से, 17 एससी श्रेणी से, 9 एसटी श्रेणी से और 18 अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।