ट्रेन में सफर के दौरान कोरोना पॉजिटिव आई शख्स की रिपोर्ट, मचा हड़कंप

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर बरपा रखा है और भारत भी इससे बुरी तरह प्रभावित है। देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा शुक्रवार को 17 लाख के करीब पहुंच गया। पिछले 24 घंटे में रिकॉर्ड 57 हजार 212 नए केस बढ़े। इसी के साथ संक्रमितों की संख्या 16 लाख 96 हजार 780 पहुंच गई। एक दिन में अब तक का ये सबसे ज्यादा आंकड़ा है। इसके पहले गुरुवार को सबसे ज्यादा 54 हजार 750 मरीज मिले थे। शुक्रवार को सबसे ज्यादा 10 हजार 376 संक्रमित आंध्र प्रदेश से मिले। महाराष्ट्र में 10 हजार 320 नए मरीज मिले। कोरोना को लेकर लोगों में इस बीमारी को लेकर इस कदर डर समा गया है कि किसी के भी कोरोना संक्रमित होने की खबर मिलने पर लोग उससे दूर भागना शुरू कर देते हैं। ऐसे में एक ट्रेन में उस वक्त हड़कंप मच गया जब उसमें यात्रा कर रहे एक शख्स को अचानक पता चला कि वो कोरोना पॉजिटिव है।

वो शख्स कोझिकोड-तिरुवंतपुरम जन शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में सफर कर रहा था। अधिकारियों ने कहा कि कन्याकुमारी का रहने वाला शख्स टेस्ट रिपोर्ट आने से पहले ही ट्रेन में चढ़ चुका था। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे ट्रेन से उतारकर अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

अधिकारियों के अनुसार, कोझीकोड जिले के कुन्नमंगलम में एक मजदूर ने कुछ लक्षणों को महसूस करने के बाद बाद कोझीकोड में तीन दिन पहले कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल दिया था। टेस्ट रिपोर्ट आने से पहले ही वो अपनी गर्भवती पत्नी को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए अपने गृहनगर जा रहा था।

वो व्यक्ति तमिलनाडु से अपने गृहनगर जाने के लिए ट्रेन में चढ़ा था। यात्रा के दौरान ही उसे स्वास्थ्य अधिकारियों का फोन आया और उसे एर्नाकुलम टाउन रेलवे स्टेशन पर उतरने को कहा गया। खबरों के मुताबिक, कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद कोझीकोड में स्वास्थ्य अधिकारियों ने उससे संपर्क किया, लेकिन ट्रेन पहले ही स्टेशन से निकल चुकी थी।

फिर उन्होंने त्रिशूर जिले में स्वास्थ्य अधिकारियों को सूचित किया, जब तक वे त्रिशूर स्टेशन पर पहुंचे, तब तक ट्रेन वहां से भी निकल चुकी थी। एर्नाकुलम में स्वास्थ्य अधिकारियों ने उस शख्स को ट्रेन से उतारकर अस्पताल पहुंचाया।

रेलवे अधिकारियों ने बताया कि उस संक्रमित आदमी के उतरने के बाद, जिस डिब्बे में वो यात्रा कर रहा था उस डिब्बे को सील कर दिया गया था, जिससे अन्य लोगों को प्रवेश करने से रोका जा सके। जो लोग उस पीड़ित व्यक्ति के साथ उस डिब्बे में थे, उन्हें भी ट्रेन की दूसरी सीट पर स्थानांतरित कर दिया गया।