चमत्कार! चेन्नई के 56 वर्षीय व्यक्ति ने 109 दिन जंग लड़ने के बाद दी कोरोना को मात

कोरोना की दूसरी लहर का कहर अब थमता नजर आ रहा हैं और आंकड़ों में लगातार कमी होती जा रही हैं। कई लोग कोरोना संक्रमित होने के बाद लम्बे समय तक इसकी दहशत का सामना कर रहे थे। आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं चेन्नई के एक 56 वर्षीय व्यक्ति की जिन्होंने 109 दिन जंग लड़ने के बाद कोरोना को मात दी हैं। डॉक्टरों तक का कहना है कि बिना फेफड़ा प्रत्यारोपण के जान बचना असंभव था लेकिन ये किसी चमत्कार से कम नहीं है। मरीज का इलाज अपने साहस के दम पर ठीक हुआ है। अस्पताल के हृदय और फेफड़ा प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ। सी अरूमुगम का कहना है कि मरीज की जान बचाने के लिए एक्मो सपोर्ट पर रखा गया था। हालांकि शुरू के पांच सप्ताह में कोई सुधार नहीं दिखा। बाद में कुछ और दिन तक सपोर्ट पर रखा तो देखा कि उसमें सुधार हो रहा है।

चेन्नई के रेला अस्पताल में कोरोना संक्रमण के बाद 56 वर्षीय एक व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुदीजा को अप्रैल में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। सीटी स्कैन जांच में पता चला कि उन्हें मध्यम स्तर के कोरोना संक्रमण के साथ निमोनिया की तकलीफ थी। मुदीजा जब अस्पताल पहुंचे थे तब उनका ऑक्सीजन लेवल 92 फीसदी था, लेकिन उनकी हालत समय के साथ खराब होती जा रही थी। सांस की तकलीफ इतनी अधिक हो गई थी कि उन्हें प्रति मिनट दस लीटर ऑक्सीजन की जरूरत हो रही थी। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि मरीज की हालत गंभीर होने के कारण उसे एक्मो सपोर्ट पर रखा गया था। एक्मो सपोर्ट व वेंटिलेटर के जरिए रक्त में ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई। अस्पताल ने कहा कि रोगी को नौ हफ्ते तक एक्मो सपोर्ट पर रखा गया था और बिना फेफड़ा प्रत्यारोपण के ही रोगी स्वस्थ होकर बृहस्पतिवार को घर लौट गया है। डॉक्टरों का दावा है कि मुदीजा देश के पहले मरीज हैं जो एक्मो सपोर्ट पर रहने के बाद बिना फेफड़ा प्रत्यारोपण के स्वस्थ हुए हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि एक्मो सपोर्ट पर 50 दिन रखने के बाद मरीज के फेफड़ों में हरकत दिखी। इसके बाद एक्मो सपोर्ट के पैरामीटर में धीरे-धीरे बदलाव किए जाने लगे। 62वें दिन मरीज का एक्मो सपोर्ट हटा दिया गया। डॉ। अरूमुगम बताते हैं कि मेरी पूरी टीम ने चमत्कार देखा है। इसके बाद हमने रोगी को सामान्य वेंटिलेटर पर रखा और 29 जुलाई को वह पूरी तरह सामान्य हो गया था।