विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिशें हुए तेज़, 10 दलों से ममता की सीधी मुलाकात

लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कोशिशें लगातार तेज होती जा रही हैं। इस क्रम में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने जहां कांग्रेस विरोधी गैरभाजपाई दलों को साधने की जिम्मेदारी ली है। वहीं टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी ने राज्यों में भाजपा के खिलाफ सबसे मजबूत दल की अगुवाई में गठबंधन बनाकर चुनावी जंग में उतरने का फॉर्मूला दिया है।

चार दिन के दिल्ली प्रवास पर सोमवार को यहां आई ममता ने मंगलवार को संसद भवन में 10 विपक्षी दलों के नेताओं के साथ ताबड़तोड़ बैठक की। एनडीए नीत केन्द्र सरकार पर करारा प्रहार करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि नोटबंदी और बैंक घोटाले जैसे मुद्दों ने जमीनी स्तर पर जनता को प्रभावित किया है और भाजपा के लिए ‘बोरिया बिस्तर बांधकर निकलने का’ वक्त आ गया है। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी दलों को भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए एकसाथ मिलकर मेहनत करनी चाहिए। कर्नाटक विधानसभा चुनावों की लीक चुनावी तारीखों पर प्रतिक्रिया देते हुए ममता ने कहा कि सभी संस्थाएं भाजपा की संस्थाएं बन गई हैं क्योंकि भाजपा कई एजेंसियों का ‘प्रयोग और दुरुपयोग’ कर रही है। भाजपा की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मंगलवार को चुनाव आयोग द्वारा कर्नाटक विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित करने से पहले ही इन चुनावों की तारीखें ट्वीट कर दीं। इसके बाद आयोग ने इस लीक को ‘बहुत गंभीर मुद्दा’ करार देते हुए इस मामले में जांच और कड़ी कार्रवाई की जरूरत की बात कही।

एनसीपी सूत्रों के प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले की उपस्थिति में पवार और ममता के बीच 40 मिनट की अहम बैठक हुई। तीसरा मोर्चा के गठन की समर्थक ममता ने पवार के पांव छूए और उनसे विपक्षी मोर्चा की अगुवाई की अपील की।

पवार ने ममता को अलग-अलग मोर्चा की जगह भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने की दिशा में आगे बढ़ने की सलाह दी। पवार ने कहा कि वह खुद बीजेडी, टीडीपी, टीआरएस जैसे भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस विरोधी दलों के मुखिया से मुलाकात कर आम राय बनाने की कोशिश करेंगे।

इस दौरान ममता का कहना था कि भाजपा को अलग-अलग राज्यों में पराजित करने के लिए उन राज्यों में सबसे मजबूत दल की अगुवाई में गठबंधन खड़ा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में भी उन्होंने कांग्रेस को साथ आने का निमंत्रण दिया था। बकौल ममता कर्नाटक की जंग में उतरी कांग्रेस को अकेले आगे बढ़ने के बदले जेडीएस को साथ लेना चाहिए। इसी तरह की कोशिश अन्य राज्यों में भी होनी चाहिए।

तीसरा मोर्चा की समर्थक ममता की पवार से मुलाकात मामले में कांग्रेस खासी आशंकित रही। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ममता-पवार की बैठक से ठीक पहले कांग्रेस नेतृत्व ने गुलाम नबी आजाद को पवार के पास भेजा। दोनों नेताओं के बीच करीब 20 मिनट बातचीत हुई। इससे पहले ममता ने संसद भवन में सोनिया गांधी से मुलाकात की कोशिश की।

उन्होंने पार्टी सांसद दिनेश त्रिवेदी को संदेश के साथ कांग्रेस दफ्तर भेजा, मगर तब तक सोनिया संसद भवन से जा चुकी थीं। हालांकि टीएमसी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली प्रवास में दोनों नेताओं की मुलाकात हर हाल में होगी।

संसद भवन में ममता ने पवार के अतिरिक्त सपा के रामगोपाल यादव-धर्मेंद्र यादव, राजद की मीसा भारती और जयप्रकाश यादव, टीआरसी की कविता, डीएमके की कनिमोझी, शिवेसना के संजय राउत, बीजेडी, टीएमसी, एआईयूडीएफ, वाईएसआर कांग्रेस के सांसदों से मुलाकात की।