राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस नेता और संसद की लोक लेखा समिति (PAC) प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मैं लोक लेखा समिति के सभी सदस्यों से अनुरोध करूंगा कि अटॉर्नी जनरल और सीएजी को यह बात पूछने के लिए तलब करें कि राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट कब संसद में पेश की गई, कब सीएजी के पास रिपोर्ट आई, कब पीएसी के पास यह रिपोर्ट आई और कब यह फाइनल हुआ। उन्होंने यह बात राहुल गांधी के घऱ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।
उन्होंने कहा कि सरकार को राफेल सौदे पर सीएजी की रिपोर्ट के बारे में गलत तथ्य पेश कर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने के लिये माफी मांगनी चाहिए। हम उच्चतम न्यायालय का सम्मान करते हैं, लेकिन यह जांच एजेंसी नहीं है। सिर्फ जेपीसी राफेल सौदे की जांच कर सकती है।
खड़गे ने कहा, 'सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला कि सीएजी रिपोर्ट संसद और पीएसी में पेश की गई थी और पीएसी ने इसकी जांच की है। कोर्ट में सरकार ने कहा कि यह पब्लिक डोमेन में है। कहां है? क्या आपने इसे देखा है? मैं इसे पीएसी के अन्य सदस्यों के सामने लाने ले जा रहा हूं। हम अटॉर्नी जनरल और सीएजी को बुलाएंगे।'
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश को गुमराह करने के लिए सारी झूठीं चीजें लाकर सरकार सारी बातें सत्य साबित करने की कोशिश कर रही है। इसलिए हमारी मांग है कि जेपीसी से इसकी जांच करवाओ।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार बताए कि इस मामले पर कैग की रिपोर्ट कहां है जिसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट में किया गया है। दरअसल, शुक्रवार को राफेल पर फैसले के वक्त प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा , ‘हमारे सामने पेश की गयी सामग्री दर्शाती है कि सरकार ने विमान के मूल दाम को छोड़कर मूल्य निर्धारण का ब्योरा संसद को भी नहीं दिया है, इस आधार पर कि मूल्य निर्धारण विवरण की संवेदनशीलता से राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होगी और दोनों देशों के बीच के समझौते का भी उल्लंघन होगा।' पीठ ने कहा कि हालांकि मूल्य निर्धारण ब्योरा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को दिया यगा और कैग की रिपोर्ट पर लोक लेखा समिति (पीएसी) विचार भी कर चुकी है।