मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में अग्निवीर को खत्म करने की मांग की, कहा युवाओं का मनोबल तोड़ दिया

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को अग्निवीर योजना को खत्म करने की मांग की। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष को दरकिनार कर दिया गया और सत्ताधारी पार्टी पर केवल नारे देने और विकास कार्य न करने का आरोप लगाया। खड़गे ने राज्यसभा में कहा, अग्निवीर जैसी अनियोजित और 'तुगलकी' योजना लाकर युवाओं का मनोबल तोड़ दिया गया है।

उन्होंने राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा, मैं मांग करता हूं कि अग्निवीर योजना को समाप्त किया जाना चाहिए।

रक्षा आधुनिकीकरण के हिस्से के रूप में जून 2022 में शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत युवाओं को चार साल के लिए भर्ती किया जाता है और उन्हें 'अग्निवीर' कहा जाता है। चार साल की सेवा के बाद 25 प्रतिशत अग्निवीरों को बरकरार रखा जाएगा, जबकि बाकी को छोड़ दिया जाएगा।

2024 के लोकसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने इस नई भर्ती योजना को खत्म करने और पुरानी योजना पर लौटने का वादा किया है, जिसमें सैनिकों की भर्ती 16 साल की सेवा के लिए की जाती थी।

खड़गे ने यह भी कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव संविधान को मुद्दा बनाने वाला पहला चुनाव है। खड़गे ने कहा, संविधान होने पर ही चुनाव कराए जा सकते हैं। कुछ लोगों को संविधान के बारे में बात करने पर भी आपत्ति है, लेकिन इसे चुनावी मुद्दा बनाने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

खड़गे ने कहा, ‘‘...और आज जब हम लोकतंत्र की बात करते हैं तो संविधान में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति, उपसभापति जैसे प्रावधान हैं लेकिन उस पद को पांच साल तक खाली छोड़ना, क्या यह लोकतांत्रिक तरीका है?’’

उन्होंने कहा, विपक्ष को दरकिनार कर दिया गया, जबकि उपसभापति का पद (पिछले पांच वर्षों से) रिक्त पड़ा है।

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए खड़गे ने कहा, वे संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं। खड़गे ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केवल नारे देने में माहिर हैं, मणिपुर पिछले एक साल से जल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री ने राज्य का दौरा नहीं किया।

उन्होंने कहा, विपक्षी दल आम आदमी की दुर्दशा के बारे में बात करते हैं, जबकि मोदी जी केवल 'मन की बात' करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी पर चुनाव के दौरान अपने भाषणों के माध्यम से समाज को विभाजित करने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए खड़गे ने कहा कि इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसा नहीं किया।

कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि 27 जून को संसद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भाषण में दिशा और दूरदर्शिता का अभाव था। राष्ट्रपति संसद का सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं, हम राष्ट्रपति का सम्मान करते हैं।

खड़गे ने कहा, इस साल राष्ट्रपति का पहला अभिभाषण जनवरी में और दूसरा जून में था। पहला अभिभाषण चुनावों के लिए था और दूसरा उसकी नकल था। उनके अभिभाषण में दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के लिए कुछ भी नहीं था। राष्ट्रपति के अभिभाषण में न तो कोई दूरदर्शिता थी और न ही कोई दिशा। पिछली बार की तरह यह भी सरकार की सराहना से भरा हुआ था।

इसके अलावा, कांग्रेस प्रमुख ने राज्यसभा के सभापति से संसद परिसर में महात्मा गांधी, अंबेडकर और अन्य की मूर्तियों को उनके मूल स्थानों पर वापस रखने की भी अपील की।