महाराष्ट्र में कोई भी पार्टी सरकार बनाने में सफल नहीं रही और अंत में राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा। महाराष्ट्र में चल रही सियासी गहमागहमी के बीच अब राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर तंज कस रही है। इसी क्रम में अब शिवसेना ने महाराष्ट्र की मौजूदा हालात के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' (Saamana) में छपे एक लेख में कहा कि हमारे लिए कोई कुछ भी कहे लेकिन सच्चाई यह है कि हमने नीलकंठ की तरह विषपान किया है। शिवसेना ने कहा यदि बीजेपी अपने वादे पर कायम रहती तो राष्ट्रपति शासन जैसे किसी कदम की नौबत नहीं आती। हमें भी कोई कदम नहीं उठाना पड़ता, लेकिन उन्होंने हमारा हक देने की जगह विपक्ष में बैठना सही समझा। हम अब महाराष्ट्र में एक स्थिर सरकार के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
सामना के लेख में कहा गया है कि हालांकि महाराष्ट्र में अभी तक हॉर्स ट्रेडिंग शुरू नहीं हुई है, लेकिन राष्ट्रपति शासन लागू करना उसी दिशा में बढ़ाया गया कदम है। राज्यपाल को यह फैसला खुद के विवेक से लेना चाहिए था।
BJP ने किया पलटवारवही इससे पहले महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन के बाद बीजेपी नेता नारायण राणे ने कहा है कि सरकार बनाने के लिए जो भी करना पड़ेगा वो करेंगे। नारायण राणे ने कहा कि शिवसेना को बेवकूफ बनाया जा रहा है, उन्हें नहीं लगता है कि कांग्रेस और एनसीपी उद्धव के साथ आएंगे। नारायण राणे ने कहा कि महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार बनाने के लिए उन्हें जो कुछ करना पड़ेगा वो करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वो जब भी राज्यपाल के साथ जाएंगे 145 विधायकों का नाम लेकर जाएंगे। पूर्व शिवसैनिक और उद्धव के प्रतिद्वंदी रहे नारायण राणे ने कहा कि शिवसेना ने ही उन्हें साम-दाम दंड भेद सिखाया है।
कुछ लोगों के हठ की वजह से लगा राष्ट्रपति शासन : सुधीर मुनगंतीवारवही बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुधीर मुनगंतीवार ने बीजेपी की कोर समिति की एक बैठक के बाद मंगलवार को कहा था कि राष्ट्रपति शासन लगना जनादेश का अपमान है और यह कुछ लोगों के हठ के कारण हुआ है। इनलोगों ने जनादेश का अपमान किया है। हम उभर रही राजनीतिक स्थिति पर नजदीकी नजर रखे हुए हैं। मुनगंतीवार ने उद्धव ठाकरे की पार्टी द्वारा कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाने के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि एक स्पष्ट जनादेश के बावजूद हमने अपनी सहयोगी की तरह वैकल्पिक संभावनाएं नहीं तलाशी, जिसने चुनाव परिणाम के बाद अन्य विकल्पों के बारे में बातें की। उन्होंने सवाल किया कि यदि उन्हें सरकार बनाने को लेकर विश्वास था तो वह समर्थन का पत्र लेने में क्यों असफल रहे?
वही शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे का कहना है कि भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए अनाधिकारिक माध्यमों से अभी भी हमसे संपर्क कर रही है। ठाकरे ने कहा कि वे हर बार अस्पष्ट और अलग-अलग प्रस्ताव दे रहे हैं। लेकिन हमने कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ जाने का निर्णय लिया है। ठाकरे ने राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के उस बयान का जिक्र करते हुए भाजपा पर हमला बोला, जिसमें उन्होंने कहा कि शिवसेना ने औपचारिक रूप से पहली बार सोमवार को उनसे (कांग्रेस-राकांपा) संपर्क किया। उद्धव ने कहा कि वे हमारे ऊपर भाजपा को छोड़कर हर किसी से पहले से ही बात करने आरोप लगा रहे हैं, लेकिन अब सच्चाई सामने आ गई है। हमारे पास बातचीत का समय था, लेकिन मैं इस दिशा में नहीं जाना चाहता था, जिस दिशा में चर्चा हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल बी एस कोश्यारी ने किस तरह उन्हें दो दिन का समय नहीं दिया, लेकिन अब उन्होंने दूसरे दलों को समर्थन पत्र के लिए छह महीने (राष्ट्रपति शासन) का समय दे दिया।