अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगता है तो हम जिम्मेदार नहीं : संजय राउत

महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर शिवसेना नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि चुनाव से पहले जो प्रस्ताव दिया गया था, हम उसी प्रस्ताव पर राज़ी होंगे। उसी पर हमने चुनाव लड़ा था, उसी पर गठबंधन हुआ था। कोई प्रस्ताव ना आएगा, ना जाएगा, जो प्रस्ताव तय हुआ था सिर्फ उस पर बात होनी चाहिए। पार्टी को कोई नया प्रस्ताव मंजूर नहीं है। संजय राउत ने कहा, 'महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी-शिवसेना के बीच 50-50 फॉर्मूले पर सहमति बनी थी। इस प्रस्ताव के बाद ही दोनों पार्टियां का गठबंधन हुआ था। अब चुनाव बाद बीजेपी अपने वादों से पीछे हट रही है। संजय राउत ने कहा कि अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूर पड़ती है तो ये जनता के साथ अन्याय होगा। महाराष्ट्र अगर राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा है उसके लिए हम जिम्मेदार नहीं है।

दरअसल, दरअसल, महाराष्ट्र चुनाव से पहले बीजेपी और शिवसेना के बीच एक राजनीतिक 'डील' हुई थी। इसके तहत पांच साल की सरकार में ढाई साल का सीएम पद बीजेपी के पास और बाकी ढाई साल का सीएम पद शिवसेना के पास रहेगा। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विधानसभा चुनाव नतीजे आने के बाद ही बीजेपी को 50-50 फॉर्मूले की याद दिलाई थी। ठाकरे ने साफ शब्दों में कहा था- 'लोकसभा चुनाव में अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस के साथ जो तय हुआ था, उससे न कम और न ज्यादा चाहिए। उससे एक कण भी अधिक मुझे नहीं चाहिए।'

बता दें, एक तरफ, बीजेपी ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने पर जोर देते हुए बातचीत के लिए 24 घंटे दरवाजे खुले होने का दावा किया और गेंद शिवसेना के पाले में डाल दी है। तो अब दूसरी तरफ, शिवसेना की तरफ से एक नया ट्वीट आया है, जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। महाराष्ट्र में जारी गतिरोध के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने बुधवार की सुबह ट्वीट किया, ''जो लोग कुछ भी नहीं करते हैं, वो कमाल करते हैं।'' बता दें कि एक दिन पहले ही संजय राउत ने कहा था कि, 'मु्ख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। महाराष्ट्र की राजनीति बदल रही है। आप खुद देखेंगे।' राउत ने कहा, 'जिसे आप हंगाम कह रहे हैं वो हंगामा नहीं है बल्कि न्याय और अधिकारों की लड़ाई है। जीत हमारी होगी।' वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को कहा कि अगर शिवसेना यह घोषणा कर दे कि उसने भाजपा के साथ अपना संबंध तोड़ दिया है तो महाराष्ट्र में एक राजनीतिक विकल्प बनाया जा सकता है। राकांपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी चाहती है कि केंद्र सरकार में शिवसेना के इकलौते मंत्री अरविंद सावंत भी इस्तीफा दे दें।

बता दे, महाराष्ट्र की 288 सीटों वाले विधानसभा में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54, कांग्रेस को 44 और अन्य को 29 सीटें मिली हैं। सरकार बनाने के लिए बहुमत का आकंड़ा 146 है। इस तरह से बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के पास बहुमत के आंकड़े हैं, लेकिन सीएम पद और 50-50 फॉर्मूले पर बात नहीं बन पाने के कारण अभी तक नई सरकार का गठन नहीं हो पाया है।