'अगर उद्धव जी ने कहा कि राज्य का मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा तो वह जरूर होगा' : संजय राउत

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 (Maharashtra Assembly Election 2019) के परिणाम आने के बाद शिवसेना (Shiv Sena) और बीजेपी (BJP) के बीच सरकार बनाने को लेकर खींचतान खत्म नहीं हो रही है। वही इस बीच आज शुक्रवार को कड़े तेवर दिखाते हुए राज्यसभा सांसद और शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने अपने ताजा बयान में कहा कि अगर उद्धव जी ने कहा है कि राज्य का मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा तो वह जरूर होगा। अगर हम चाहें तो दो-तिहाई बहुमत से सरकार बना सकते हैं। हम कहेंगे कि अगर आपके पास (भाजपा) बहुत नहीं है तो सरकार बनाने की हिम्मत न करें। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की जनता चाहती है कि सीएम शिवसेना से हो। यह कह कर संजय राउत ने यह साफ जाहिर कर दिया कि आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) को मुख्यमंत्री बनाने के मुद्दे पर अभी भी शिवसेना अडिग है।

संजय राउत ने कहा लिखकर ले लीजिए, मुख्यमंत्री शिवसेना का ही होगा। सरकार गठन की प्रक्रिया तय वादों के हिसाब से ही आगे बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य की जनता चाहती है कि जो भाजपा-शिवसेना के बीच 50-50 का फॉर्मूला तय हुआ था, उसी पर बात आगे बढ़े। अगर ऐसा नहीं होता तो फिर उद्धव जी और हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचता। इसके अलावा संजय राउत ने ट्विटर पर लिखा, ‘साहेब! मत पालिए, अहंकार को इतना, वक्त के सागर में कई सिकंदर डूब गए।’ हालांकि, इस ट्वीट में किसी का नाम नहीं लिया गया है लेकिन शिवसेना नेता का इशारा साफ है कि निशाने पर भारतीय जनता पार्टी है।

संजय राउत ने कहा कि जिनके पास बहुमत नहीं है, वह सरकार बनाने की ना सोचें। बीजेपी की ओर से कैबिनेट पद के ऑफर पर उन्होंने कहा हम व्यापारी नहीं हैं, इसलिए हम व्यापार की बात नहीं करते। जिसके पास बहुमत है, वे सरकार बना लें। वे सबसे बड़ी पार्टी है। अगर वे दावा पेश करते हैं या राज्यपाल उन्हें बुलाते हैं तो यह उनका लुकआउट है।

उन्होंने कहा कि शरद पवार राज्य के बड़े नेता हैं, उनसे मुलाकात के कुछ और मायने नहीं निकालने चाहिए। दरअसल, गुरुवार शाम को संजय राउत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी। इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई कि राज्य में सरकार गठन में राकांपा महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। राउत के मुलाकात के बाद शरद पवार के आवास पर राकांपा नेताओं की बैठक भी हुई। इसमें सुप्रिया सुले, धनंजय मुंडे और अजित पवार शामिल हुए। हालांकि, इस बैठक के बाद पार्टी की ओर से बयान दिया गया कि हमें विपक्ष में बैठने के लिए जनादेश मिला है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक नतीजों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी को 15 निर्दलीय विधायक समर्थन दे सकते हैं। जिससे उसका आंकड़ा 105 से बढ़कर 120 विधायकों तक पहुंच सकता है। माना जा रहा है कि शिवसेना के सपोर्ट ना करने की स्थिति में अगर एनसीपी सदन से वॉक आउट करती है तो विधानसभा की संख्या घटकर 234 हो जाएगी। ऐसे में बीजेपी को बहुमत के लिए महज 118 सदस्य चाहिए। इसके बाद यदि शिवसेना बीजेपी के साथ आती है तो उसकी बारगेनिंग क्षमता कम हो जाएगी।