संविधान और आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले के बयान को लेकर एक बार फिर किरकिरी हो रही है। दरअसल उन्होंने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा वो दिन अब दूर नहीं जब आरक्षण खत्म हो जाएगा। दरअसल पटोले ने बीजेपी को आरक्षण खत्म करने वाली पार्टी बताया। पटोले ने लोकसभा में अध्यक्ष व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के उस बयान को समर्थन दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि आगामी कुछ दिनों मोदी सरकार सभी एससी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण खत्म कर देगी।
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले के बयान पर बीजेपी की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया की बीच दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी को स्वतंत्रता के बाद से ही संविधान और उसके निर्माता भारतरत्न डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर से दूरी रही है। डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर को कांग्रेस पार्टी ने दो बार हराया। उन्हें अपमानजनक तरीके से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया। डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की संवैधानिक प्रावधानों का पूरा पालन कांग्रेस ने कभी नहीं होने दिया।
कांग्रेस के कार्यकाल में ही भारत में दो संविधान लागू थे। मतलब कश्मीर के लिए अलग संविधान और बाकी भारत के लिए अलग संविधान लागू किया गया था। कांग्रेस के नेताओं ने कभी भी पूरे भारत में एक ही संविधान लागू नहीं होने दिया। कांग्रेस के कार्यकाल में ही दलितों पर अत्याचार की सबसे अधिक घटनाएं हुईं। संविधान और डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर के विषय को कांग्रेस हमेशा केवल चुनाव तक ही इस्तेमाल करती आई है। संविधान का जिक्र करके और समय आने पर संविधान खतरे में होने का नारा देकर कांग्रेस ने समय-समय पर सत्ता हासिल की, लेकिन संविधान का सम्मान कांग्रेस ने कभी नहीं किया।
संविधान और दलितों की तुलना में कांग्रेस को मुस्लिम समाज ज्यादा प्रिय रहा है। इसलिए भारत के संसाधनों पर मुस्लिम समाज का पहला अधिकार है, ऐसा बयान कांग्रेस के एक सर्वोच्च नेता ने दिया था। लोकसभा चुनाव के दौरान भारत की साधन संपत्ति का समान वितरण होना चाहिए, ऐसा बयान कांग्रेस के विदेश में रहने वाले नेता सैम पित्रोदा ने दिया था। इस बयान पर हंगामा मचने के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया। वहीं पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने हमेशा बाबासाहेब द्वारा दिए गए आरक्षण के विरोध में भूमिका ली है। अब वही रुख लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और उनके समर्थक कार्यकर्ता और पदाधिकारी अपना रहे हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में संविधान बचाने का नारा2024 के लोकसभा चुनाव में अगर भाजपा 400 सीटों के साथ सत्ता में आई, तो संविधान बदला जाएगा और आरक्षण हटाया जाएगा, ऐसा झूठा नारा कांग्रेस ने दिया। यह अफवाह इतनी योजनाबद्ध तरीके से फैलाई गई कि यह सच लगने लगी। इसी नारे पर कांग्रेस को भरपूर वोट मिले, लेकिन फिर भी कांग्रेस 99 सीटों पर ही अटक गई और भारतीय जनता पार्टी 240 सीटें लेकर केंद्र में फिर से सत्ताधारी बन गई।
राहुल गांधी की भूमिकाचुनाव की हलचल खत्म होने के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का विदेश दौरा हुआ। इस दौरे के दौरान राहुल गांधी ने घोषणा की कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा। दुर्भाग्यवश, राहुल गांधी के प्रेम में पड़े भारतीय मीडिया ने इसका ज्यादा प्रचार नहीं किया। और कांग्रेस के नेताओं ने इस पर सीधी और स्पष्ट भूमिका नहीं ली।
पटोले ने राहुल गांधी की भूमिका को बताया सहीआरक्षण खत्म करने का राहुल गांधी का बयान कुछ भी गलत नहीं है। इसमें कोई बुराई नहीं है, ऐसा बयान नाना पटोले ने दिया। देश में लागू आरक्षण को खत्म करने का कांग्रेस का स्पष्ट इरादा होने की बात नाना पटोले ने भी स्पष्ट की है। भाजपा ने रिकॉर्ड बहुमत होते हुए भी बाबासाहेब द्वारा दिए गए आरक्षण को कायम रखा। इसके ऊपर, नॉन क्रीमी लेयर की सीमा भी भाजपा ने हटाई। वंचित वर्ग को आरक्षण मिलना ही चाहिए, ऐसी ठोस भूमिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लगभग सभी नेताओं ने ली है।
कांग्रेस ने आरक्षण पर क्या किया?कांग्रेस सरकार के समय में दलितों पर सबसे अधिक अत्याचार हुए। राहुल गांधी की भूमिका को देखते हुए और नाना पटोले द्वारा उस भूमिका को दिए गए समर्थन को ध्यान में रखते हुए, अगर गलती से कांग्रेस सत्ता में आ गई तो एससी एसटी ओबीसी जैसे सभी समाजों का आरक्षण रद्द किए बिना नहीं रहेगा, ऐसे संकेत इस भूमिका से स्पष्ट हो रहे हैं। आरक्षण आर्थिक नहीं बल्कि सामाजिक है, ऐसी भूमिका संविधान के शिल्पकार डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर ने ली थी। लेकिन कांग्रेस द्वारा उस भूमिका का गला घोंटने की कोशिश की जा रही है।
लोगों का कड़ा रिएक्शनकांग्रेस की बहुजन विरोधी और आरक्षण विरोधी भूमिका समय-समय पर स्पष्ट हुई है। राहुल गांधी और नाना पटोले की भूमिका इस विषय को लेकर लोग कई संदर्भ में देख रहे हैं। एससी एसटी ओबीसी समाज में इस भूमिका के कारण क्रोध की भावना भी उत्पन्न हुई है। ऐसे में आरक्षण विरोधी कांग्रेस की भूमिका का आगामी चुनाव जवाब देने का इशारा भी वंचित वर्ग को लेकर ही दिया जा रहा है।