जंगल के अंदर बौद्ध भिक्षु लगा रहा था ध्यान, खा गया तेंदुआ

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में रामदेगी वन में एक पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे 35 वर्षीय बौद्ध भिक्षु को मंगलवार को तेंदुए ने मार डाला। नागपुर से 150 किलोमीटर दूर स्थित पूर्वी महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में तेंदुए के हमले में मारे गए भिक्षु की पहचान राहुल वाल्के के रूप में की गई है। यह जानकारी बुधवार को एक अधिकारी ने दी। अधिकारियों ने बताया कि मृतक भिक्षु पिछले एक महीने से इस स्थान पर ध्यान कर रहे थे। तडोबा अंधारी बाघ संरक्षित क्षेत्र (बफर) के उप निदेशक गजेन्द्र नरवाने ने बताया, ‘‘यह घटना मंगलवार को सुबह 9.30-10 बजे (11 दिसंबर) के आस पास हुई। उस वक्त जंगल में एक पेड़ के नीचे भिक्षु ध्यान कर रहा था।’’ जंगल में एक ऐतिहासिक बौद्ध मंदिर से कुछ दूरी पर पेड़ स्थित है।

नरवाने ने बताया कि पिछले एक महीने से भोजन लाने के लिए वाल्के के साथ दो बौद्ध भिक्षु जाते थे। उन्होंने बताया कि जंगली पशु की उपस्थिति के बारे में बौद्ध भिक्षु को चेतावनी दी गई थी। एक अन्य भिक्षु का कहना है कि जब वह बुधवार सुबह वाल्के को खाना देने जा रहे थे तो उन्होंने जानवर को हमला करते देखा था। जब वह मदद के लिए दूसरे लोगों को लेकर लौटा, तब तक वाल्के की मौत हो चुकी थी। वाल्के का शव घटनास्थल से बरामद कर लिया गया है। वन अधिकारी जीपी नरावने ने चेतावनी देते हुए कहा, मैं हर किसी को कहूंगा कि जंगल के अंदर बिल्कुल ना जाएं।

बता दें, ताडोबा रिजर्व 88 चीतों का घर है। इसके अलावा तेंदुए, भालू समेत दूसरे जानवर भी इस जंगल में घूमते रहते हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि वाल्के के परिवार को 12 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा।बता दें कि इसी इलाके का एक बाघ 510 किलोमीटर चलकर महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश जा पहुंचा था और उसने दो किसानों की जान ले ली थी।

करीब 4 महीने की मशक्कत के बाद गत सोमवार को 2 साल के एक बाघ को पकड़ लिया गया था। यह बाघ 15 अगस्त को चंद्रपुर के सुपर थर्मल पावर स्टेशन से निकला था। मध्य प्रदेश के सारणी में सतपुड़ा पावर स्टेशन पहुंचने पर इसे पकड़ा गया। चार महीने में इस बाघ ने 510 किमी की दूरी तय की, जो विशेषज्ञों के मुताबिक देश में सबसे लंबा सफर है।