सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर मराठा संगठनों द्वारा आज बुलाये गये महाराष्ट्र बंद के मद्देनजर व्यापक सुरक्षा इंतजाम किये गये हैं। मराठी क्रांति मोर्चा समेत कई संगठनों के बंद के कारण पूरे राज्य में सुरक्षा इंतजाम को पुख्ता किया गया है। गौरतलब है कि मराठा संगठनों के विरोध प्रदर्शन के चलते पिछले महीने राज्य के विभिन्न हिस्सों में बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी नजर आई थी। इसी कारण सरकार कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने बंद के मद्देनजर संवेदनशील स्थानों पर त्वरित कार्यबल की छह कंपनियां और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल तथा राज्य रिजर्व पुलिस बल की एक-एक कंपनी तैनात की है। उन्होंने बताया कि विभिन्न स्थानों पर पुलिस की मदद के लिए होमगार्ड के जवान भी तैनात किये जा रहे हैं।
पुलिस ने कार्यकर्ताओं से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने और कानून व्यवस्था को हाथ में न लेने की अपील की है। पुलिस सोशल मीडिया पर भी नजर रखेगी। राज्य के मुख्य सचिव डी के जैन ने बंद से पहले सुरक्षा उपायों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उपनगरीय रेल सेवा सुचारु ढंग से चले तथा स्कूल एवं अन्य सेवाएं प्रभावित न हों। पहले बंद में मुंबई और ठाणे को शामिल नहीं किया जा रहा था, लेकिन बाद में कुछ संगठनों ने यहां भी बंद की बात कही। बंद को देखते हुए औरंगाबाद, पुणे, मुंबई में कई जगह स्कूल बंद किए गए हैं।
इससे पहले मराठा आरक्षण को लेकर जारी खुदकुशी पर चिंता व्यक्त करते हुए बांबे हाईकोर्ट ने कहा था कि मराठा समुदाय के लोग धैर्य रखें। न तो हिंसक गतिविधियों में शामिल हों और न ही आत्महत्या जैसा आत्मघाती कदम उठाएं। क्योंकि, मामला अभी अदालत में न्यायालय में विचाराधीन है। वहीं, राज्य सरकार से आरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों की प्रगति रिपोर्ट 10 सितंबर तक पेश करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति अनूजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर शुरू आंदोलन की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य पिछड़ा आयोग जल्द से मराठा आरक्षण से जड़ी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपे। सरकार का इस रिपोर्ट पर निर्णय लेना वैधानिक दायित्व है। हम आयोग से आशा व अपेक्षा रखते है कि वह अपना काम दो महीने में पूरा कर लेगा।