इंदौर: घर से आश्रम ले जाया गया भय्यूजी महाराज का पार्थिव शरीर

आध्यात्मिक संत भय्यूजी महाराज ने कथित तौर पर मंगलवार को दोपहर डेढ़ बजे के करीब इंदौर बायपास पर सिल्वर स्प्रिंग टाउनशिप स्थित अपने बंगले में खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली। उनकी मौत की सूचना के बाद देर रात तक श्रद्धांजलि का सिलसिला चलता रहा। अंतिम संस्कार से पहले भय्यूजी महाराज का पार्थिव शरीर को आवास से सुखलिया स्थित आश्रम 'सूर्योदय' में ले जाया गया है। जानकारी के अनुसार यहां उनके पार्थिव शरीर को सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक उनके अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। यहां से 2 बजे के बाद उनकी अंतिम यात्रा निकलेगी।
पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक, भय्यू महाराज की बेटी पिता भय्यूजी महाराज को मुखाग्नि देगी। इससे पहले, उनके पार्थिव शरीर को इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में रखा गया था। उनके अंतिम दर्शन के लिए नामी-गिरामी हस्तियों के पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।

इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले श्रद्धांजलि देने इंदौर के बापट चौराहा स्थित सुर्योदय आश्रम पहुंचे हैं। इस दौरान आठवले कहा कि बाबा साहब आम्बेडकर के प्रति भय्यू महाराज की अगाध श्रद्धा थी उनके असामयिक निधन से देश को क्षति हुई।

भय्यूजी महाराज को मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही राज्य मंत्री का दर्जा दिया था लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया था। भय्यूजी का जन्म 1968 में शाजापुर के शुजालपुर में एक जमींदार परिवार में हुआ था। अध्यात्म की दुनिया में आने से पहले भय्यूजी को लोग उदय सिंह देशमुख के नाम से जाने जाते थे।

भय्यूजी महाराज ने कांग्रेस के शासनकाल में वर्ष 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचकर अन्ना हजारे का अनशन खत्म कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे से भी उनके अच्छे संबंध थे।