शोधकर्ताओं ने जताई चिंता, कहा - कोरोना रोगियों के लिए घातक हो सकता है वायु प्रदूषण

कोरोना वायरस (कोविड-19) के कहर से इस समय पूरी दुनिया जूझ रही है। दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.90 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 49 लाख 74 हजार 120 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 12.38 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। अभी तक इस खतरनाक वायरस से मुकाबले के लिए कोई प्रभावी इलाज और वैक्सीन तक मुहैया नहीं हो पाई है। ऐसे हालात में बढ़ते वायु प्रदूषण ने चिंता बढ़ा दी है। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों के लिए कोरोना घातक हो सकता है। इनमें कोरोना संक्रमण के कारण मौत का खतरा ज्यादा हो सकता है।

साइंस एडवांस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, यह निष्कर्ष अमेरिका के तीन हजार से ज्यादा काउंटी में किए गए विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है। इसमें हवा में मौजूद सूक्ष्म कण पार्टिकल मैटर (पीएम2.5) का कोरोना से होने वाली मौतों की दर पर पड़ने वाले प्रभाव को परखा गया। अध्ययन में यह पता चला है कि इस तरह के प्रदूषक कणों वाले माहौल में लंबे समय तक रहने का संबंध कोरोना से मौत की उच्च दर से होता है। अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का मानना है कि फेफड़ों में एसीई-2 रिसेप्टर की अत्यधिक उत्पत्ति में PM 2.5 की भूमिका हो सकती है। कोरोना वायरस इसी रिसेप्टर के जरिये कोशिकाओं में दाखिल होता है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने से इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) को भी नुकसान पहुंच सकता है।

पूर्व के अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि वायु प्रदूषण के चलते कोरोना और घातक बन सकता है। खासतौर से PM 2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के कारण यह वायरस ज्यादा खतरनाक बना सकता है।

आपको बता दे, अमेरिका में संक्रमण की रफ्तार बहुत तेजी से बढ़ रही है। चुनावी गहमागहमी के बीच संक्रमण के बढ़ते मामलों पर बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही। ‘द गार्जियन’ के मुताबिक, 8 दिन में तीसरी बार आंकड़ा एक लाख से ज्यादा हुआ। बुधवार को यहां 1 लाख 16 मामले सामने आए। इसके एक दिन पहले यानी मंगलवार को एक लाख 14 हजार मामले सामने आए थे। चुनावी रैलियों का दौर थम चुका है, लेकिन अब भी सियासी जोर आजमाइश जारी है। भीड़ तो है ही, लोग मास्क लगाने से भी परहेज कर रहे हैं।