लोकसभा चुनाव: राहुल गांधी से मिलने के बाद शीला दीक्षित बोलीं- AAP से गठबंधन नहीं करेगी कांग्रेस

दिल्ली में कांग्रेस (Congress) अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी। आज दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस (Congress) की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित (Sheila Dixit) ने आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के साथ किसी भी तरह के गठबंधन से इनकार कर दिया है। दीक्षित ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ बैठक के बाद यह बयान दिया है। दरअसल, आप से गठबंधन को लेकर कांग्रेस में दो राय थी। सूत्रों का कहना था कि दिल्ली में लोकसभा की सात सीटों में से तीन-तीन पर दोनों पार्टियां अपने उम्मीदवार उतारेंगी। वहीं एक सीट शत्रुघ्न सिन्हा या यशवंत सिन्हा को दी जाएगी। यानी दिल्ली में न कांग्रेस बड़ी न आम आदमी पार्टी। दोनों पार्टियां बराबर-बराबर सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी। माना जा रहा था कि शत्रुघ्न सिन्हा या यशवंत सिन्हा में से कोई एक दोनों पार्टियों की ओर से साझा उम्मीदवार होंगे।

राहुल गांधी ने आज दिल्ली में गठबंधन हो या नहीं इसपर चर्चा के लिए बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली कांग्रेस के नेताओं ने राहुल गांधी को सलाह दी कि आम आदमी पार्टी से गठबंधन करना सही नहीं होगा। बैठक में शीला दीक्षित, पीसी चाको, कुलजीत नागरा, सुभाष चोपड़ा, जेपी अग्रवाल, अरविंदर सिंह लवली, अजय माकन, देवेंद्र यादव, राजेश लिलोठिया और हारून यूसुफ मौजूद थे।

दरअसल, 2014 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था। वोट प्रतिशत पर नजर डालें तो बीजेपी पर 46.6 प्रतिशत मतदाताओं ने भरोसा जताया था। कांग्रेस को 15.2 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी (आप) को 33.1 प्रतिशत वोट मिले थे। अब अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वोट प्रतिशत को जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा 48.3 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा।

आम आदमी पार्टी को एक समय में कांग्रेस का धुर विरोधी माना जाता था। 2013 से पहले और बाद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के खिलाफ कई आंदोलनों का नेतृत्व किया और यहीं से राजनीतिक करियर की शुरुआत की। 2013 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस को हराकर पहली बार दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। बीजेपी को 31, आप को 28 और कांग्रेस को आठ सीटें मिली। यानि 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिली। कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया और केजरीवाल पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।

47 दिनों तक सरकार चलाने के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। फिर लोकसभा चुनाव के बाद 2015 में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक 67 सीटें हासिल की। कांग्रेस शून्य पर सिमट गई और बीजेपी ने मात्र तीन सीटें हासिल की।