भारत के वो कानून जो आपको जानना जरूरी

भारत एक गणतंत्र देश हैं जिसका सबसे बड़ा संविधान हैं और हमें इस पर गर्व हैं। भारत के संविधान ने भारतवासियों के लिए कई ऐसे कानून या सुख-सुविधाएँ दी हैं जो हमारा हक़ हैं। लेकिन कानून की कम जानकारी की वजह से आप इनसे वंचित रह जाते हैं और आपके अधिकारों का हनन होता हैं। इसलिए आज हम आपकी जानकारी के लिए कुछ ऐसे कानून के नियम लेकर आये हैं जिसके बारे में हर भारतवासी को पता रहना चाहिए ताकि भविष्य में आप आपके अधिकारों से वंचित ना रह जाये। तो आइये जानते हैं उन कानूनों के बारे में जो हर भारतीय को पाता होने चाहिए।

* अगर आपके एल.पी.जी के गैस सिलिंडर में विस्फोट होता है तो आपको मिलता है 40 लाख तक का मुआवजा। यह हर व्यक्ति का कानूनी अधिकार है।

* अगर आप किसी कंपनी द्वारा भेंट किये हुए तोहफे को स्वीकार करते हैं तो आप पर कोई व्यक्ति रिश्वत लेने का मुकदमा चला सकता है। आजकल कंपनियों में लोगों को तोहफे भेजने की परम्परा बनती जा रही है। सरकार द्वारा इस तरह की परम्परा को खत्म करने के लिए वर्ष 2010 में एक कानून बनाया गया और इस कानून के मुताबिक अगर आप किसी कंपनी से किसी तरह का तोहफा लेते हैं तो उसको रिश्वत समझा जायेगा और आप पर कानूनी कारावाई हो सकती है।

* किसी भी मामले में नाम आने पर पुलिस या मीडिया किसी के भी पास ये अधिकार नहीं है, कि वे संबंधित महिला का नाम उजागर करें। पीड़िता का नाम उजागर करना भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध है। ऐसा पीड़िता को सामाजिक उत्पीड़न से बचाने के लिए किया जाता है। बलात्कार की शिकार महिला अपना बयान सीधे-सीधे जिला मजिस्ट्रेट को दर्ज करा सकती है, जहां किसी और की उपस्थिति ज़रूरी नहीं है।

* राजनीतिक दलों के पास चुनाव के समय आप से वाहन किराए पर लेने का अधिकार होता है। अगर आप वाहन देने के लिए तैयार हैं तो चुनाव के समय राजनीतिक दल आपसे आपका वाहन किराए पर ले सकते हैं।

* अगर आप सार्वजनिक जगह पर अश्लील गतिविधियाँ करते हैं तो आपको तीन महीने की सजा हो सकती है।

* अगर पति-पत्नी में सेक्स संबन्ध अच्छे नहीं हैं तो दोनों इस वजह को तलाक के सबूत के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।

* जिस महिला का बलात्कार हुआ है, वो कानूनी मदद के लिए मुफ्त मदद मांग सकती है और ये जिम्मेदारी स्टेशन हाउस अधिकारी की होती है, कि वो विधिक सेवा प्राधिकरण को वकील की व्यवस्था करने के लिए जल्द से जल्द सूचित करे।

* छेड़छाड़, बलात्कार या किसी भी तरह के उत्पीड़न संबंधी फर्स्ट इन्फॉरमेशन रिपोर्ट (FIR) किसी भी थाने में दर्ज कराई जा सकती है, भले ही अपराध संबंधित थाना क्षेत्र में हुआ हो या न हुआ हो। वह थाना उस रिपोर्ट को संबंधित थाने को ट्रांसफर कर सकता है। केंद्र सरकार ने निर्भया मामले के बाद सभी राज्यों को अपराध होते ही जीरो एफआईआर करने को कह दिया था और पुलिस यदि किसी महिला की शिकायत दर्ज करने से मना कर दे तो संबंधित पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।