भारत छोड़ो आंदोलन : गांधीजी ने अपने 70 मिनट के भाषण में दिए थे ये प्रमुख निर्देष

भारत छोड़ो आंदोलन का प्रारंभ 1934 के बाद के घटनाक्रम से ही शुरू हो गया था। लेकिन सार्वजनिक रूप से इसे 8 अगस्त 1942 को शुरू किया गया। 9 अगस्त 1942 को ही मुंबई अधिवेशन में अपने भाषण में 'करो या मरो' का नारा दिया गया जो काफी प्रसिद्ध हुआ। कांग्रेस के ऐतिहासिक सम्मेलन में गांधी जी ने लगभग 70 मिनट तक भाषण दिया था। इसी भाषण के दौरान ही गांधी जी ने कहा था कि हम अपने गुलामी स्थाई बनाए बनाया जाना नहीं देख सकते। गांधी जी के भाषण के बारे में डॉक्टर पट्टाभि सीतारमैया ने लिखा है कि वास्तव में गांधीजी उस दिन अवतार और पैगंबर की प्रेरक शक्ति से प्रेरित होकर भाषण दे रहे थे। इस भाषण में गांधीजी ने लोगों को एकजुट आने के साथ ही हर वर्ग को कई निर्देष भी दिए थे। आज हम आपको उन विभिन्न निर्देषों के बारे में बताने जा रहे हैं।

* सरकारी कर्मचारी नौकरी नहीं छोड़े लेकिन कांग्रेस के प्रति निष्ठा की घोषणा कर दें।

* राजा महाराजे भारतीय जनता की प्रभु सत्ता स्वीकार कर ले और रियासतों में रहने वाली जनता अपने को भारतीय राज्य का अंग घोषित करें।

* छात्रों से कहा गया कि वह पढ़ाई तभी छोड़े जब आजादी प्राप्त होने तक इस पर अडिग रह सके।

* काश्तकारों के लिए निर्देश दिया था कि यदि जमीदार उसका साथ ना दे तो वह कर ना चुकता करें।