बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं चेन्नई के लोग, केरल सरकार का दावा, तमिलनाडु ने ठुकरा दी 20 लाख लीटर पेयजल की पेशकश

तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। हालत यह है कि जहां एक ओर आईटी कंपनियों को अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहना पड़ा है, वहीं ग्रामीण इलाकों में टोकन देकर पानी बांटा जा रहा है। वही केरल सरकार ने गुरुवार को दावा किया कि उसने तमिलनाडु को 20 लाख लीटर पेयजल मुहैया कराने की गुरुवार को इच्छा जताई थी लेकिन तमिलनाडु ने ‘अभी मदद की जरूरत नहीं है' कहते हुए इस पेशकश को ठुकरा दिया।

तमिलनाडु सरकार ने पेशकश ठुकराने वाली बात से इंकार किया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के पलानीसामी समीक्षा बैठक में इस पर चर्चा करने के बाद ‘उचित फैसले की घोषणा’ करेंगे। इस बीच आज तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानासामी ने चेन्नई में मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।

वहीं डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन ने तमिलनाडु सरकार से अपील की है कि वह लोगों की मदद करने के लिए केरल के साथ मिलकर काम करें। स्टालिन ने केरल के मुख्यमंत्री की इस पेशकश के लिए उनका आभार जताया।

इससे पहले केरल के मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान जारी किया था, 'जैसा कि चेन्नई के बड़े जलाशय पानी की कमी का सामना कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में केरल सरकार ने मदद का हाथ बढ़ाने का निर्णय लिया है।'

बता दे, पानी की किल्लत इतनी है कि स्कूलों का टाइम भी कम कर दिया गया है और प्ले स्कूल बंद कर दिए हैं। ईस्ट तंबरम के क्राइस्ट किंग हायर सेकंडरी स्कूल में 2600 से ज्यादा स्टूडेंट पढ़ते हैं। स्कूल ने छठी क्लास से लेकर आठवीं तक के बच्चों को दो दिन का ब्रेक दिया है। स्कूल परिसर में स्थित छह बोरवेल सूख गए हैं। स्कूल की जरूरतों को पूरी करने के लिए रोजाना दो टैंकरों के जरिए 24 हजार लीटर पानी मुहैया कराया जाता है।

क्रोमपेट इलाके में स्थित निजी स्कूल आरकेडी फोमरा विवेकानंद विद्यालय की ओर से छात्रों के अभिभावकों को मोबाइल पर मेसेज भेजकर जानकारी दी गई है कि स्कूल में हाफ डे रहेगा। टेक्स्ट मेसेज में लिखा है, 'पानी की किल्लत की वजह से 24 जून से स्कूल की सभी क्लासेज सुबह 8 बजे से दिन में 12:15 बजे तक चलेंगी।' स्कूल प्रिंसिपल इंद्रा शंकर ने इस पर प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए कहा, 'यह टॉप मैनेजमेंट का फैसला है।'

बता दें, उमस भरी गर्मी और तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई को ढंग से पानी नसीब नहीं है क्योंकि पाइप लाइन से आने वाले पानी की आपूर्ति में चालीस फीसदी की कटौती कर दी गई है। शहर के चार जलाशय सूख गए हैं। चेन्नई मेट्रो वॉटर एजेंसी पाइप के जरिए दिन में केवल 525 मिलियन लीटर की आपूर्ति करती है। जबकि शहर को हर दिन 800 मिलियन लीटर पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में लोगों के काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

चेन्नई के अधिकांश निवासी अब निजी पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं, जो पहले से ही महंगा है और अब कीमतें दोगुनी हो गई हैं, लेकिन फिर भी पानी समय पर नहीं पहुंचता है। राष्ट्रीय जल अकादमी के पूर्व निदेशक मनोहर खुशालानी ने एनडीटीवी को बताया, '2015 में, चेन्नई में बाढ़ आई थी। उसी कारण जिससे बाढ़ आई थी उसी से ये सूखा है। जलाशयों और नहरों का संग्रहण करना पड़ेगा और अतिक्रमण को रोकना चाहिए।'

बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही हैं जिंदगियां

बता दें कि चेन्नई कई सालों से पानी की कमी से जूझ रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से हालात और ज्यादा गंभीर हो गए हैं। राज्य के कई जल स्त्रोत और नदियां सूखी पड़ी है और जिंदगियां बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही हैं।

वहीं गंभीर जल संकट के बीच राज्य सरकार ने कहा है कि वह अक्टूबर में उत्तर पूर्व मानसून के आने तक अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मुख्यत: भूजल पर निर्भर है। मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने कहा कि सूखे और मानसून की कम बारिश से भूजल स्तर में गिरावट हुई है। उन्होंने दावा किया कि यह मुद्दा उतना बड़ा नहीं है जितना उसे विशेष रूप से मीडिया में बनाया जा रहा है।