बेंगलूरू। कर्नाटक सरकार सिनेमा और सांस्कृतिक कलाकारों को सहायता देने के लिए फिल्म टिकट और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) सदस्यता शुल्क पर उपकर लागू करने पर विचार कर रही है। यह उपकर 1 से 2 प्रतिशत तक होगा और राज्य सरकार द्वारा हर तीन साल में इसकी समीक्षा की जाएगी। यह राज्य के भीतर सिनेमा टिकट, सदस्यता शुल्क और संबंधित प्रतिष्ठान से उत्पन्न राजस्व पर लगाया जाएगा।
कर्नाटक सिने और सांस्कृतिक कार्यकर्ता (कल्याण) विधेयक, 2024 शुक्रवार, 19 जुलाई को राज्य विधानसभा में पेश किया गया।
विधेयक में सात सदस्यीय कल्याण बोर्ड की स्थापना तथा कलाकारों के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याण प्रदान करने के उद्देश्य से योजनाओं के वित्तपोषण हेतु एक कोष के निर्माण का प्रस्ताव है।
विधेयक में कहा गया है, फिल्म उद्योग में कलाकार (अभिनेता, संगीतकार, नर्तक, आदि) के रूप में या किसी भी मैनुअल, पर्यवेक्षी, तकनीकी, कलात्मक या अकुशल क्षमता में काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को सिनेमा और सांस्कृतिक कार्यकर्ता माना जाता है। यह उन लोगों पर भी लागू होता है जो सरकार द्वारा इस अधिनियम के संबंध में घोषित गतिविधियों में शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार राज्य में मंचित होने वाले नाट्य नाटकों पर भी उपकर लगाने की योजना बना रही है। इस बीच, भाजपा ने सिनेमा टिकटों और ओटीटी सब्सक्रिप्शन पर नया उपकर लगाने के कर्नाटक सरकार के प्रस्ताव की आलोचना की है। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक्स पर एक बयान में इस प्रस्ताव को कर्नाटक के लोगों के लिए कांग्रेस सरकार द्वारा एक और झटका बताया।
विधेयक में राज्य के बजट पर प्रभाव को कम करने और वित्तीय तनाव को रोकने के लिए चरणबद्ध कार्यान्वयन का प्रस्ताव है। विधेयक में नियोक्ताओं को मासिक आधार पर उपकर जमा करने और द्विवार्षिक रिटर्न ऑनलाइन या निर्दिष्ट वेब पोर्टल के माध्यम से जमा करने का आदेश दिया गया है।
यदि विधेयक पारित हो जाता है, तो बेंगलुरू में कर्नाटक सिनेमा और सांस्कृतिक कलाकार कल्याण बोर्ड की स्थापना की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता विभाग के मंत्री और एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी करेंगे, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों और अकादमियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सत्रह सरकारी मनोनीत सदस्य होंगे।