पत्रकार जेडे हत्या मामले में आज छोटा राजन समेत 11 आरोपियों पर फैसला सुनाया जाएगा। मुंबई की मकोका कोर्ट में यह फैसला जज समीर अजगर सुनाएंगे। इस मामले का मुख्य आरोपी माफिया डॉन छोटा राजन दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है। सरकारी वकील ने 155 गवाह पेश किए थे। वहीं अभियोजन पक्ष ने आरोपियों को सजा दिलवाने के लिए बैलिस्टिक और वैज्ञानिक सबूत पेश किए। मामले की जांच के बाद पुलिस ने मकोका कोर्ट में आरोप पत्र भी दायर किया था। वहीं दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद अंडर वर्ल्ड डॉन राजन के खिलाफ मुंबई में कई अन्य मामले भी चल रहे हैं। जिसमें वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होता है। अभियोजन पक्ष का कहना है कि छोटा राजन को लगता था कि जेडे उनके खिलाफ लिखते हैं जबकि मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम की प्रशंसा करते हैं। बस इसी बात से आहत होकर उसने हत्या की साजिश रची और जेडे को मौत के घाट उतार दिया।
11 जून 2011 को मुंबई में हुई थी हत्या56 वर्षीय ज्योतिर्मय डे अंग्रेजी सांध्य दैनिक मिड डे के संपादक(इनवेस्टिगेशन) थे। उन्हें 11 जून, 2011 को मध्य मुंबई के उपनगर पवई में उनके आवास के पास गोली मार दी गई थी। इस मामले में सनसनीखेज मोड़ तब आया था, जब पुलिस ने 25 नवंबर, 2011 को मुंबई के एक अंग्रेजी दैनिक की पत्रकार जिगना वोरा समेत 10 अन्य को गिरफ्तार किया। जांच के दौरान पता चला था कि वोरा लगातार छोटा राजन के संपर्क में थीं और डे की हत्या के लिए उसे उसकाया था। इस हत्याकांड के लिए छोटा राजन को पांच लाख रुपये दिए जाने थे, जिसमें दो लाख रुपये अग्रिम दे दिए गए थे।
माफिया डॉन को ‘चिंदी’ बताया थाडे ‘खल्लास- एन ए टू जेड गाईड टू द अंडरवर्ल्ड’ और ‘जीरो डायल : द डेंजरस वर्ल्ड ऑफ इनफोरमर्स’ के लेखक थे। वे मौत से पहले अपनी तीसरी किताब ‘चिंदी : राग्स टू रिचेस’ लिख रहे थे। उन्होंने कथित रूप से अपनी आने वाली किताब में माफिया डॉन राजन की चिंदी (तुच्छ) के रूप में छवि गढ़ी थी, जिसने संभवत: छोटा राजन को उकसाने का काम किया।
वहीं छोटा राजन के वकील अंशुमान सिंहा ने अभियोजन पक्ष को गलत बताते हुए कहा कि राजन ने किसी तरह का फोन नहीं किया था। वह सभी कॉल फर्जी थे। उल्लेखनीय है कि जेडे की हत्या के बाद काफी हंगामा हो गया था जिसके बाद राजन ने कई न्यूज चैनलों के दफ्तरों में फोन किए थे। उसने कहा था कि वह बस पत्रकार को धमकाना चाहता था ना कि उसकी हत्या करवाना। जिसके बाद अभियोजन पक्ष ने इसी रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पेश किया। साथ ही जेल में बंद राजन के वॉइस सैंपल भी उससे मैच हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक उस वक्त विदेश में बैठे राजन ने हत्या को अंजाम देने के लिए शूटर सतीश कालिया और उसके साथियों की मदद ली थी। जिसमें एक अन्य पत्रकार जिगरा वोरा ने जेडे की पहचान कराने में राजन की मदद की थी।
बता दें कि मामले में पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी जानकारी देते हुए बताया था कि कैसे राजन के आदमी जेडे का पीछा करते थे। साथ ही हत्याकांड से जुड़ी जो सीसीटीवी फुटेज मीडिया ने दिखाई थी जिसमें आरोपी उसका पीछा कर रहे थे और आखिर में जेडे को गोली मारी। वह वही हत्यारे थे जो जेडे का पीछा करते थे। इसके अलावा सतीश कालिया और संतोष देशपांडे के वकीलों का कहना है कि अभियोजन पक्ष ने अदालत में पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए हैं। वहीं दो साल पहले यह केस मुंबई पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दिया गया था। इसके अलावा छोटा राजन के वॉइस सैंपल की रिपोर्ट भी कोर्ट में पेश की गई थी।