आधिकारिक तौर पर दो केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, जाने क्या-क्या बदलेगा

आजाद हिंदुस्तान के 70 साल के इतिहास में आज ऐतिहासिक दिन है। देश की जन्नत कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आज से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए। भारत सरकार के द्वारा 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 की ताकतों को पंगु करने के बाद 30 अक्टूबर रात 12 बजे से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग राज्य बन गए हैं। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख में बिना विधानसभा या विधान परिषद के केंद्र शासित प्रदेश बना। राज्य का पुनर्गठन होते ही जम्मू-कश्मीर में 20 और लद्दाख में 2 जिले होंगे । इसके साथ ही केंद्र के 106 कानून भी इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गए, जबकि राज्य के पुराने 153 कानून खत्म हो गए। आज लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती है, जिनका जम्मू-कश्मीर को भारत में विभाजन कराने में अहम किरदार रहा है। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले 150 से ज्यादा पुराने कानून खत्म हो जाएंगे, जबकि आधार समेत 100 से ज्यादा नए कानून लागू हो गए हैं। लागू कानूनों में आधार, मुस्लिम विवाह विच्छेद, सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, मनरेगा, भ्रष्टाचार निवारक, मुस्लिम महिला संरक्षण और शत्रु संपत्ति शामिल हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनते ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में संसद की ओर से पारित 106 केंद्रीय कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं। इसमें शिक्षा का अधिकार जैसे महत्वपूर्ण कानून शामिल हैं। इसके अलावा केंद्रशासित प्रदेश बनने पर जम्मू-कश्मीर के 164 प्रदेश स्तर पर बनाए गए कानून खत्म हो गए हैं, जबकि राज्य विधानसभा से पारित 166 कानूनों को यथावत रखा गया है।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में और क्या-क्या बदलेगा?

1) उपराज्यपाल ही मुखिया होगा

संविधान के अनुच्छेद 239ए के तहत जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। यही अनुच्छेद दिल्ली और पुडुचेरी पर लागू है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर की अपनी विधानसभा होगी। हालांकि, प्रदेश की पुलिस उपराज्यपाल के अधीन होगी। उपराज्यपाल के जरिए कानून-व्यवस्था का मामला केंद्र सरकार के पास होगा। जबकि, जमीन से जुड़े मामले विधानसभा के पास ही होंगे। वहीं, लद्दाख अनुच्छेद 239 के तहत केंद्र शासित प्रदेश बना है। इसके तहत लद्दाख की न ही कोई विधानसभा होगी और न ही कोई विधान परिषद। यहां उपराज्यपाल ही मुखिया होगा। उपराज्यपाल की नियुक्ति केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं। जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है।

2) जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीट बढ़ेंगी

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के मुताबिक, चुनाव आयोग और सरकार मिलकर जम्मू-कश्मीर का नए सिरे से परिसीमन करवाएंगे, जिसके बाद यहां विधानसभा सीटें बढ़ेंगी। अभी जम्मू-कश्मीर में 83 और लद्दाख में 4 विधानसभा सीट थी। 24 सीटें पीओके में भी हैं, जिनपर चुनाव नहीं होते हैं। इस तरह से जम्मू-कश्मीर में कुल विधानसभा सीटों की संख्या अभी तक 107 थी, जो नए परिसीमन के बाद 114 तक पहुंच सकती हैं। वहीं, जम्मू-कश्मीर में 5 लोकसभा और लद्दाख में 1 लोकसभा सीट होगी।

3) दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का एक ही हाईकोर्ट होगा, जिसके न्यायिक क्षेत्र में ये दोनों केंद्र शासित प्रदेश आएंगे। दिल्ली और पुड्चेरी भी केंद्र शासित प्रदेश हैं और दोनों प्रदेशों में विधानसभा हैं, फिर भी दिल्ली का अपना हाईकोर्ट है जबकि, पुड्डुचेरी के मामले मद्रास हाईकोर्ट के क्षेत्र में आते हैं। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, जज, वकील और स्टाफ का खर्चा और सैलरी दोनों प्रदेशों की जनसंख्या के आधार पर वहन होगी।

4) केंद्र के 106 कानून लागू हो जाएंगे

आधार एक्ट, शत्रु संपत्ति एक्ट, हिंदू मैरिज एक्ट और आरटीआई एक्ट जैसे केंद्र के 106 कानून दोनों यूटी में लागू होंगे। इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है। इसके अलावा अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे से यहां 153 कानून लागू थे, जो अब खत्म हो जाएंगे। हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे।

5) विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का ही होगा

राज्य के पुनर्गठन के साथ राज्य की प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था भी बदल रही है। जम्मू-कश्मीर में जहां केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ साथ विधानसभा भी बनाए रखी गई है। वहां पहले के मुकाबले विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह 5 साल का ही होगा। विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ साथ अब अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी। पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10% से ज़्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं। जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी। हालांकि राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से 5 और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुन कर आएगा। इसी तरह से केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के 4 सांसद ही चुने जाएंगे। जम्मू कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे। जिनमें 4 लद्दाख की, 46 कश्मीर की और 37 जम्मू की सीटें थीं। लद्दाख की 4 सीटें हटाकर अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में 83 सीटें बची हैं, जिनमें परिसीमन होना है।