अयोध्या में राम मंदिर था, है और रहेगा, उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं हटा सकती : जगद्गुरु रामानंदाचार्य

सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की चल रही सुनवाई के बीच जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी हंसदेवाचार्य ने स्पष्ट किया कि अयोध्या में राम मंदिर था, है और रहेगा, उसे दुनिया की कोई ताकत नहीं हटा सकती है। उन्होंने कहा कि रामलला वहां विराजमान हैं। वहां नियमित पूजा, आरती हो रही है। पुजारी तैनात हैं। हजारों भक्त रोजाना दर्शन करने आ रहे हैं और यह सब हाई कोर्ट के संरक्षण में ही हो रहा है। इसलिए राम मंदिर होने और न होने का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में मामला विवादित भूमि बनाम राम मंदिर का ही चल रहा है। वह कांस्टीट्यूशन क्लब में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस वार्ता में स्वामी जीतेंद्रानंद, स्वामी देवेंद्रानंद, स्वामी अलग गिरी महाराज व महामंडलेश्वर स्वामी नवल किशोर भी मौजूद रहे।

उन्होंने कहा कि संत समाज को दु:ख इस बात का है कि लोग ठाठ में हैं और रामलला टाट में हैं। बता दें कि मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 5 जुलाई को है। महामंडलेश्वर रामानंदाचार्य हंसदेवाचार्य और समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि राम मंदिर और गंगा कानून पर अब और इंतजार नहीं किया जा सकता। अगर सुप्रीम कोर्ट आतंकवादियों और एक मुख्यमंत्री के लिए आधी रात को अदालत खोल सकता है तो राम मंदिर मामले की प्रतिदिन सुनवाई क्यों नहीं हो सकती? दोनों संतों ने कहा कि मंदिर निर्माण का सबसे बेहतर तरीका इस बारे में संसद में कानून बनाने की है। अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो इस मामले में देश भर में आंदोलन छेड़ा जाएगा। उन्होंने बाबरी मस्जिद फिर से बनने का सपना दिखाने वाले लोगों को दो टूक संदेश दिया कि वहां दुनिया की कोई ताकत दोबारा मस्जिद का निर्माण नहीं करा सकती है। कोई अब वहां नमाज नहीं पढ़ सकता है।

अब सीधे मोर्चा संभालने की तैयारी

- धर्म की आड़ में मोदी सरकार के खिलाफ फतवे और विरोध पत्रों से चिंतित संत समाज भी अब सीधे मोर्चा संभालने की तैयारी में है।
- समाज इसे लेकर जन जागरूकता अभियान चलाएगा। इसके साथ ही ¨हदू समाज को जाति के आधार पर बांटने की साजिशों को भी संत बेनकाब करेंगे।
- बता दें कि कई मुस्लिम व इसाई धर्म गुरुओं ने चुनावों अपने समुदाय के लोगों को भाजपा को हराने के लिए वोट देने का आह्वान करते हुए फतवा व पत्र जारी किया है। संत समाज इसलिए चिंतित है कि धार्मिक बंटवारे की साजिश रच विपक्षी दलों के नेता कथित तौर पर देश का माहौल खराब करने में जुटे हैं। इसका मुंहतोड़ जवाब देने की बनी सहमति के बीच रणनीति तैयार करने को लेकर शनिवार से दिलशाद गार्डन के श्री अखंड परमधाम मंदिर में अखिल भारतीय संत समिति की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आरंभ हुई है। इस आयोजन में देशभर से आचार्य, जगद्गुरु, महामंडलेश्वर व महंत समेत संत समाज के वरिष्ठ लोग जुटे हैं। बैठक में गंगा व गाय बचाने और अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनाने के मुद्दे पर भी आगामी रणनीति तय होगी। स्वामी परमानंद ने गोहत्या पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार से कानून बनाने की मांग की है।

नितिन गडकरी और सरकार पर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया

- स्वामी जीतेंद्रानंद ने गंगा मामले में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सरकार पर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
- उन्होंने कहा कि डेढ़ साल पहले गिरिधर मालवीय की अगुवाई में बनी कमेटी ने गंगा संरक्षण कानून का मसौदा तैयार कर सरकार को दे दिया था। मगर यह अब तक गडकरी की मेज पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय के अधिकारी गंगा को बचाने के प्रयास में पलीता लगा रहे हैं और सरकार के साथ-साथ गडकरी तमाशा देख रहे हैं।

फतवे के खिलाफ भी गरम

- दोनों संतों ने कहा कि कैराना उपचुनाव में देवबंद की ओर से 37 फतवे जारी किए गए। इससे पहले दिल्ली के आर्क बिशप ने पत्र जारी कर सरकार के खिलाफ चर्च में एक साल तक प्रार्थना कराने के लिए कहा। ऐसे में अब संत समाज की मजबूरी है कि वह भी हिंदू समाज को राजनीतिक रूप से एकजुट करे।