
श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का महत्वाकांक्षी पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ईओएस-09 मिशन शनिवार को तकनीकी बाधा के कारण अधूरा रह गया। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी61 से सुबह 5:59 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उपग्रह को लॉन्च किया गया था, लेकिन तीसरे चरण में आई तकनीकी समस्या के चलते ईओएस-09 को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका। लॉन्चिंग से पहले प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी61 की उलटी गिनती शनिवार को शुरू हो गई थी। ईओएस-09 किसी भी मौसम परिस्थिति में पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है। कृषि-वानिकी के लिहाज से इसरो का यह 101वां मिशन बेहद अहम है।
22 घंटे की उलटी गिनती के बाद हुई लॉन्चिंगइस मिशन के लिए इसरो ने शुक्रवार सुबह 7:59 बजे से 22 घंटे की उल्टी गिनती शुरू की थी। यह पीएसएलवी रॉकेट की 63वीं उड़ान थी और इसरो का यह मिशन कृषि, वन प्रबंधन, आपदा नियंत्रण और शहरी योजना के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा था। 1,696 किलोग्राम वजनी ईओएस-09 को सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (SSPO) में स्थापित करने की योजना थी।
ईओएस-09 की विशेषताएं और उद्देश्यईओएस-09 को इस तरह डिजाइन किया गया था कि वह दिन और रात, किसी भी मौसम में पृथ्वी की सतह की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में सक्षम हो। इसके ज़रिए रियल टाइम डाटा मिलना था, जिसका उपयोग आपदा पूर्वानुमान, फसल निगरानी और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में किया जाता।
लॉन्च के बाद इसरो प्रमुख का बयानमिशन के तुरंत बाद इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने कहा, उपग्रह के तीसरे चरण के संचालन में तकनीकी गड़बड़ी सामने आई है। वैज्ञानिक पूरी स्थिति का आकलन कर रहे हैं। मिशन को फिलहाल सफल नहीं कहा जा सकता। डाटा का विस्तृत विश्लेषण जारी है और आगे की जानकारी जल्द साझा की जाएगी।
कृषि, वानिकी निगरानी, आपदा प्रबंधन जैसे कई फायदेईओएस-09 से वास्तविक समय में मिलने वाली सटीक जानकारी कृषि, वानिकी निगरानी, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अनुप्रयोगों के लिए महत्वपूर्ण होगी। इस मिशन का उद्देश्य देश भर में विस्तारित तात्कालिक समय पर होने वाली घटनाओं की जानकारी जुटाने की आवश्यकता को पूरा करना है।
मात्र 17 मिनट बाद निर्धारित कक्षा में पहुंच जाएगा उपग्रहइसरो के मुताबिक, करीब 1,696.24 किलोग्राम वजन वाला पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-09 वर्ष 2022 में प्रक्षेपित ईओएस-04 जैसा ही है। पीएसएलवी-सी61 रॉकेट 17 मिनट की यात्रा के बाद ईओएस-09 उपग्रह को सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (एसएसपीओ) में स्थापित कर सकता है। उपग्रह के वांछित कक्षा में अलग होने के बाद वैज्ञानिक बाद में कक्षा की ऊंचाई कम करने के लिए वाहन पर ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स (ओसीटी) का उपयोग करेंगे।
पांच साल की मिशन अवधि, जिम्मेदारी के साथ समापन की तैयारीइसरो ने बताया कि ईओएस-09 की मिशन अवधि पांच वर्ष निर्धारित की गई है। खास बात यह है कि मिशन की समाप्ति के बाद उपग्रह को सुरक्षित रूप से कक्षा से बाहर करने के लिए पर्याप्त ईंधन आरक्षित रखा गया है, जिससे अंतरिक्ष में मलबा न फैले और मिशन क्लीन ऑर्बिट सिद्धांत पर आधारित रहे।