Chandrayaan 2: बड़ा सवाल - क्या क्रैश हो गया विक्रम लैंडर, ISRO ने दिया ये जवाब

चंद्रयान-2 (Chandrayaan2) को चांद पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' करनी थी लेकिन चांद की सतह पर पहुंचने से 2.1 किलोमीटर पहले विक्रम लैंडर का संपर्क इसरो से टूट गया। रात करीब 1:38 बजे चंद्रयान-2 ने चांद की सतह पर साफ्ट लैंडिंग करनी थी। साफ्ट लैंडिग के बाद विक्रम लैंडर को चांद की सतह की मैपिंग शुरू करनी थी। अगर चंद्रयान-2 चांद पर सफल लैंडिंग कर पाता तो वह सबसे पहले चांद की सतह की सबसे नजदीकी की तस्वीर इसरो सेंटर को भेजता। इस तस्वीर को भेजने के बाद विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरने वाला था। इस पूरी घटना के बाद इसरो का कहना है कि वह डाटा का विश्लेषण कर रहे है। लेकिन हर भारतीय के मन में एक सवाल उठ रहा है कि क्या विक्रम लैंडर क्रैश हो गया है। जब यह सवाल इसरो के साइंटिस्ट देवीप्रसाद कार्निक से पूछा गया तो उन्होंने कहा- 'डाटा का विश्लेषण किया जा रहा है। हमारे पास अभी तक कोई रिजल्ट नहीं है। इसमें समय लगया है। हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते।'

इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा कि विक्रम लैंडर बिल्कुल सही रास्ते से आगे बढ़ रहा था, लेकिन लैंडिंग से 2.1 किमी पहले उसका संपर्क टूट गया।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इसरो के मिशन कंट्रोल कॉम्प्लेक्स में पहुंचे थे। लेकिन कोई भी देश चांद के साउथ पोल तक नहीं पहुंच सका है, जहां चंद्रयान-2 को उतरना था।

चंद्रयान-2 से संपर्क टूटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, देखिए जीवन में उतर चढ़ाव आते रहते हैं। उन्होंने कहा कि ये कोई छोटा अचीवमेंट नहीं है, देश आप पर गर्व करता है। उन्होंने कहा कि फिर से कम्युनिकेशन शुरू हुआ तो अब भी उम्मीद बची है। मेरी तरफ से वैज्ञानिकों को बधाई, आप लोगों ने विज्ञान और मानव जाति की बहुत बड़ी सेवा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं पूरी तरह आपके साथ हूं हिम्मत के साथ चलें।

देश के अन्य नेताओं और हस्तियों ने भी घटना पर प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'इसरो की टीम को चंद्रयान-2 मून मिशन पर शानदार काम के लिए बधाई। आपका जुनून और समर्पण प्रत्येक भारतीय के लिए एक प्रेरणा है।'

बता दें अगर चंद्रयान-2 की 'सॉफ्ट लैंडिंग' हो जाती तो भारत दुनिया में ऐसा करने वाला पहला देश होता। रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा तथा चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाता। चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का जीवनकाल एक साल का बताया जा रहा था। इस दौरान यह चंद्रमा की लगातार परिक्रमा कर हर जानकारी पृथ्वी पर मौजूद इसरो के वैज्ञानिकों को भेजता।