चंद्रयान-2 के बाद गगनयान की तैयारी, चुने गए 10 पायलट

चंद्रयान-2 मिशन (Chandrayaan 2 Mission) के बाद इसरो (ISRO) और भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) गगनयान (Gaganyaan) मिशन में लग गए हैं। भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) के लिए अंतरिक्ष यात्रियों के चयन के लिए पहले चरण की प्रक्रिया पूरी कर ली है। दरहसल, भारतीय वायुसेना ने शुरुआत में कुल 25 पायलटों का चयन किया था। इनमें से पहला चरण सिर्फ 10 पायलट ही पार कर पाए। सभी चयनित 10 टेस्ट पायलटों के सेहत की इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन में जांच की गई है। इन सभी की कठिन शारीरिक टेस्ट, प्रयोगशाला जांच, रेडियोलॉजिकल टेस्ट, क्लीनिकल टेस्ट और मनोवैज्ञानिक जांच की गई। इसमें ये सभी 10 पायलट सफलतापूर्वक पास हो चुके हैं। वायु सेना ने ट्वीट किया कि मिशन गगनयान-भारतीय वायु सेना ने भारतीय अंतरिक्षयात्री चयन के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस में पहला स्तर पूरा कर लिया। चयनित टेस्ट पायलट गहन शारीरिक अभ्यास जांच, प्रयोगशाला जांच, रेडियोलॉजिकल जांच, क्लीनिकल जांच और मनोवैज्ञानिक स्तर पर कई तरह की जांच से गुजरे।

बता दे, गगनयान भारत का वह महत्वकांक्षी मिशन है, जिसमें तीन भारतीयों को अंतरिक्ष में सात दिन की यात्रा के लिए भेजना है। इसरो और भारतीय वायुसेना इस प्रोजेक्ट में मिलकर काम कर रहे हैं। वायुसेना अपने पायलटों में से चयन करके तीन अंतरिक्षयात्री इसरो को देगी। इसके बाद उनकी इसरो उन्हें ट्रेनिंग देगा। इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया जा रहा है और इन्हें प्रशिक्षण के लिए नवंबर के बाद रूस भेजा जाएगा।इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश के महत्वाकांक्षी मानवसहित अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए रूस भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करेगा। मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बातचीत के बाद कहा कि रूस गगनयान परियोजना के लिए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगा। मोदी और पुतिन दोनों ने गगनयान के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के ढांचे के भीतर किए गए सक्रिय कार्य का स्वागत किया। देश के पहले अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा 2 अप्रैल 1984 में रूस के सोयूज टी-11 में बैठकर अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे। राकेश शर्मा भी भारतीय वायुसेना के पायलट थे।

गगनयान में खर्च होंगे 10,000 करोड़ रुपये

गगनयान कार्यक्रम के लिए कुल कोष की जरूरत करीब 10,000 करोड़ रुपये है और इसमें प्रौद्योगिकी विकास, हार्डवेयर और आवश्यक बुनियादी ढांचे के तत्व शामिल हैं। भारत-रूस अंतरिक्ष सहयोग चार दशक से चल रहा है। साल 2015 में दोनों पक्षों ने रूस (तब सोवियत संघ) के प्रक्षेपण यान सोयुज से भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट के प्रक्षेपण की 40वीं वर्षगांठ मनाई थी।

चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) मिशन के पूरी तरह सफल नहीं होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे थे कि इससे भविष्य के मिशन पर असर पड़ेगा। लेकिन, इसरो के वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि हमारे भविष्य के मिशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। गगनयान निर्धारित समय पर ही जाएगा। क्योंकि हर मिशन का अलग लक्ष्य होता है। काम जरूर सब पर एकसाथ चलता है लेकिन उनकी दिशा और दशा अलग होती है।