सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बच्चों की स्कूल फीस को लेकर फैसला, राज्य सरकार और स्कूलों को भी दिए निर्देश

राजस्थान में लंबे समय से पेरेंट्स, स्कूल और सरकार के बीच फीस को लेकर घमासान जारी हैं जिसपर अब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया हैं। इस फैसले से पेरेंट्स को बड़ा झटका लगा हैं और स्कूल संचालकों को बड़ी राहत मिली है। आदेश में पैरेंट्स को कोरोनाकाल के शैक्षणिक सत्र 2020-21 की स्कूलों की फीस 100% चुकानी होगी। ये फीस शैक्षणिक सत्र 2019-20 में दी गई फीस के बराबर होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह अंतरिम आदेश सोमवार को मैनेजिंग कमेटी सवाई मानसिंह विद्यालय, गांधी सेवा सदन, सोसायटी ऑफ कैथोलिक एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस सहित फी-रैग्युलेशन एक्ट 2016 को चुनौती देने वाली भारतीय विद्या भवन सोसायटी की एसएलपी पर संयुक्त सुनवाई करते हुए दिया।

आदेशों के तहत पैरेंट्स को को ये फीस मार्च से चुकानी होगी, जो 6 किश्तों में होगी। ये किश्त 5 मार्च से शुरू होगी। साथ ही कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फीस जमा नहीं कराए जाने के कारण किसी भी बच्चे का नाम स्कूल से नहीं कटेगा। साथ ही 10वीं व 12वीं के बच्चों को भी फीस जमा नहीं कराए जाने पर परीक्षा में बैठने से वंचित नहीं किया जाएगा। इसके अलावा राज्य सरकार को भी कहा है कि वह स्कूलों के राइट टू एजुकेशन (RTE) एडमिशन की बकाया राशि एक महीने में दे। स्कूलों का RTE के पेटे राज्य सरकार पर करीब 210 करोड़ रुपए का बकाया चल रहा है।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के 18 दिसंबर के आदेश पर भी रोक लगा दी, जिसमें निजी स्कूल संचालकों को राज्य सरकार के 28 अक्टूबर के आदेश की सिफारिशों के अनुसार फीस वसूल करने की छूट देते हुए राज्य सरकार के फीस तय करने के निर्णय में दखल देने से इंकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अंतिम फैसला अप्रैल में देना तय किया है। राज्य सरकार ने 28 अक्टूबर को आदेश जारी कर राजस्थान बोर्ड ऑफ सैकेण्डरी एजुकेशन (RBSC) से मान्यता प्राप्त स्कूलों को 60% और सेंट्रल बोर्ड ऑफ सैकेण्डरी एजुकेशन (CBSE) से मान्यता प्राप्त स्कूलों को 70% फीस वसूलने के लिए कहा था।