Independence Day Special : राष्ट्रगान को गाने की अवधि है 52 सेकेंड, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य

देश की एकता का प्रतीक है भारत का राष्ट्रगान 'जन-गण-मन' जो सभी एक दिल में गूंजता रहता हैं। 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के दिन झंदरोहन के साथ 'जन-गण-मन' का वाचन देशवासियों में जोश भर देता हैं। इसके अलावा समारोह पूर्ण कार्यक्रमों, सरकारी या सार्वजनिक कार्यक्रम में राष्‍ट्रपति के आगमन के अवसर पर और इन कार्यक्रमों से उनके विदा होने के तत्‍काल पहले मुख्य रूप से राष्ट्रगान बजाय जाता हैं। यह देश के सम्मान को दर्शाता हैं, आज हम आपको इससे जुड़े रोचक तथ्यों की जानकारी देने जा रहे हैं।

- जन-गण-मन को भारत ने राष्ट्रगान को 24 जनवरी 1950 के संविधान संभा में अपनाया गया था।
- इसे नोबेल पुरस्कार विजेता और भारतीय साहित्यकार रबिंद्रनाथ टैगोर ने बंगाली भाषा में लिखा था।
- बंगाली में लिखे गए राष्ट्रगान का हिंदी अनुवाद आबिद अली ने किया था। इसे अलहिया बिलावल राग में गाया जाता है।

- राष्ट्रगान को गाने की अवधि 52 सेकेंड है, कुछ मौकों पर इसे संक्षिप्त रूप (20 सेकेंड) में भी गाया जाता है।
- टैगोर ने इसके पांच छंद लिखे थे, लेकिन पहले छंद को ही राष्ट्रगान के तौर पर गाया जाता है। इसमें 5 दोहा है।
- राष्ट्रगान को गाते या बजाते समय बैठे रहना अपराध नहीं है, बल्कि इस दौरान किसी भी अनुचित गतिविधि में संलग्न नहीं होना चाहिए।
- 1947 में वंदे मातरम और जन गण मन के बीच राष्ट्रगान का चुनाव कराने के लिए वोटिंग हुई थी, इस वोटिंग में वंदे मातरम को ज्यादा वोट मिले थे।

- प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट, 1971 की धारा तीन के मुताबिक, 'अगर कोई राष्ट्रगान में विघ्न डालता है या किसी को राष्ट्रगान गाने से रोकने की कोशिश करता है, तो उसे ज्यादा से ज्यादा तीन साल कैद की सजा या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।'
- राष्ट्रगान को गाने के लिए किसी को भी बाध्य नहीं किया जा सकता। 1986 के एक मामले के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर कोई राष्ट्रगान का सम्मान करता है मगर गाता नहीं है तो वह अपराध की श्रेणी में नहीं आता।
- 1975 से पहले, फिल्म के बाद राष्ट्रगान को गाने की परंपरा थी। लेकिन वहां पर लोगों द्वारा इसको उचित सम्मान न देने पर इस पर रोक लगा दी गयी।