कोरोना का कहर भारत सतर्क, 12 दवाओं के निर्यात पर सरकार लगा सकती है पाबंदी

पूरी दुनिया में फैल रहे जानलेवा कोरोना वायरस की वजह से 1,775 लोगों की मौत हो चुकी है इनमें से 1,770 तो सिर्फ चीन के ही हैं और यह आकड़ा रोज बढ़ता जा रहा है। अब तक पूरी दुनिया में 71,326 लोग इस वायरस से संक्रमित पाए गए है। जहां एक तरफ चीन इस वायरस से लड़ रहा है वहीं भारत इस वायरस को लेकर बेहद सतर्क हो गया है। भारत में जरूरी दवाओं की उपलब्धता बरकरार रखने के लिए सरकार एंटीबायोटिक्स, विटामिन्स और हॉर्मोन सहित लगभग 12 दवाओं के निर्यात पर बैन लगा सकती है। देश में दवाओं की उपलब्धता का आकलन करने के लिए गठित आठ सदस्यों वाली एक्सपर्ट कमिटी ने क्लोरमफेनिकॉल, नियोमाइसिन, मेट्रोनिडाजोल, एजिथ्रोमाइसिन, क्लिंडामाइसिन, विटामिन B1, B2 तथा B6 सहित 12 दवाओं के साथ प्रॉजेस्ट्रॉन हॉर्मोन के निर्यात पर बैन लगाने की सिफारिश की है। प्रोजेस्ट्रॉन का इस्तमेमाल गर्भवास्था तथा माहवारी से जुड़ी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है।

केंद्र सरकार से आग्रह करते हुए पैनल ने एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकारों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने और जमाखोरी तथा किसी भी तरह की कृत्रिम कमी पैदा करने के खिलाफ कड़ी निगरानी करने को कहे। इसके साथ ही पैनल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि व्यापारी मौके का किसी तरह से फायदा नहीं उठाएं और एपीआई या मेडिसिन फॉर्म्यूलेशंस की कीमतों में इजाफा नहीं करें, यह सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारें कदम उठाएं।

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बता दे, चीन के हुबेई प्रांत में कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा प्रकोप है और इसी प्रांत से भारतीय दवा उद्योग सर्वाधिक कच्चा माल या ऐक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडियंट (API) का आयात करता है। हालांकि, फिलहाल देश में दवाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन हुबेई प्रांत को अगर फरवरी के बाद भी बंद रखा गया तो परेशानी पैदा हो सकती है।