चाचा नेहरू का बाल प्रेम दर्शाती है ये घटना, जानें इसके बारे में

'बाल दिवस ( Childrens Day )' हर साल 14 नवम्बर को मनाया जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते है कि संयुक्त राष्ट्र के द्वारा 20 नवंबर का दिन बाल दिवस के रोप में तय किया गया था। कई देश आज भी 20 नवंबर को ही बाल दिवस मानते हैं। लेकिन भारत में यह दिन 'चाचा नेहरू' के जन्मदिवस के दिन मनाते हैं। क्योंकि वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। आज हम आपको उनके जीवन की एक घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जो उनके बाल प्रेम को दर्शाती हैं। तो आइये जानते है इसके बारे में।

दिल्ली स्थित तीन मूर्ति भवन जवाहर लाल नेहरू ( Jawaharlal Nehru ) का आवास हुआ करता था। एक दिन तीन मूर्ति भवन के बगीचे में लगे पेड़-पौधों के बीच नेहरू जी टहल रहे थे। उनका ध्यान पौधों पर था, तभी उन्हें एक छोटे बच्चे के रोने की आवाज सुनायी दी। नेहरू जी ने आसपास देखा, तो उन्हें पेड़ों के बीच दो माह का एक बच्चा दिखायी दिया, जो ऊंचे स्वर में रो रहा था। नेहरू जी ने सोचा- इसकी मां कहां होगी?

उन्होंने इधर-उधर देखा। वह कहीं नजर नहीं आ रही थी। उन्होंने सोचा शायद वह बगीचे में ही कहीं काम कर रही होगी। इस पर उन्होंने उस बच्चे को उठा कर अपनी गोद में लेकर उसे थपकियां दीं और झुलाया, तो बच्चा चुप हो गया और मुस्कुराने लगा। बच्चे को मुस्कुराते देख चाचा नेहरू भी खुश हो गये और बच्चे के साथ खेलने लगे। थोड़ी देर बाद जब बच्चे की मां वहां पहुंची, तो उसे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। उसका बच्चा नेहरू जी की गोद में मंद-मंद मुस्कुरा रहा था।

इसी तरह एक बार जब नेहरू जी तमिलनाडु के दौरे पर गये थे, तब जिस सड़क से वह गुजर रहे थे, वहां के लोग साइकिलों पर खड़े होकर, तो कहीं दीवारों पर चढ़ कर उनकी एक झलक पाने को बेताब थे।

इस भीड़ भरे इलाके में नेहरू जी ने देखा कि दूर एक गुब्बारेवाला पंजों के बल खड़ा डगमगा रहा था। नेहरू जी की गाड़ी जब गुब्बारेवाले तक पहुंची, तो उन्होंने ड्राइवर को गाड़ी रोकने के लिए बोला और वह गाड़ी से उतर कर वह गुब्बारे खरीदने आगे बढ़े। गुब्बारेवाला हक्का-बक्का रह गया। नेहरू जी ने अपने तमिल जाननेवाले सचिव से कह कर सारे गुब्बारे खरीदवाये और वहां उपस्थित सारे बच्चों में वे गुब्बारे बंटवा दिये।