लखनऊ। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में अपने निराशाजनक प्रदर्शन से आहत यूपी भाजपा ने रविवार को अपनी राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में एकजुट चेहरा दिखाने की कोशिश की, लेकिन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा योगी आदित्यनाथ पर परोक्ष कटाक्ष से भगवा पार्टी के भीतर जुबानें गरमा गईं।
बैठक में बोलते हुए मौर्य ने कहा कि संगठन (भाजपा) हमेशा सरकार से ऊपर रहा है और यह बात सभी को जाननी चाहिए। उन्होंने वहां मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं की जय-जयकार के बीच कहा, ''संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और बड़ा रहेगा।''
उपमुख्यमंत्री ने यह भी संदेश देने की कोशिश की कि आम भाजपा कार्यकर्ता सरकार से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा, आपका (कार्यकर्ताओं का) दर्द और मेरा दर्द एक जैसा है। उन्होंने संकेत दिया कि आदित्यनाथ सरकार में कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है और लोकसभा चुनाव में राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे यह भी एक कारण है।
मौर्य की टिप्पणी आदित्यनाथ पर लक्षित मानी जा रही थी, जिन्होंने अपने संबोधन में यह संदेश देने की कोशिश की थी कि सरकार संगठन से ऊपर है। आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर सरकार प्रभावित होती है तो पार्टी के नेता, जो नगर निकायों के सदस्य हैं या पंचायतों का नेतृत्व कर रहे हैं, वे भी प्रभावित होंगे। मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनावों में राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहराया था।
मौर्य ने आदित्यनाथ की कार्यशैली पर अपनी नाराजगी पहले भी भगवा पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को बता दी थी। उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठकों से भी दूरी बनाए रखी थी।
बमुश्किल कुछ दिन पहले ही भाजपा विधायक रमेश चंद्र मिश्रा ने कहा था कि भाजपा के 2027 में सत्ता में वापस आने की संभावना नहीं है और पार्टी उत्तर प्रदेश में ‘बहुत खराब स्थिति’ में है। मिश्रा ने राज्य में हालात ठीक करने
के लिए केंद्रीय पार्टी नेतृत्व से हस्तक्षेप की भी मांग की थी।
लगभग उसी समय, पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोती सिंह ने कहा था कि इस सरकार में भ्रष्टाचार कई गुना बढ़ गया है। मौर्य और पार्टी के कुछ अन्य
नेताओं की टिप्पणियों को यहां के राजनीतिक हलकों में आदित्यनाथ के खिलाफ मोर्चा खोलने और आलाकमान को यह संदेश देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है कि अगर आदित्यनाथ सत्ता में बने रहे तो 2027 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के लिए सत्ता में वापसी करना मुश्किल होगा।