27 दिन तक लड़ी कोरोना से जंग और पाई जीत, एचआरसीटी स्कोर 22 और ऑक्सीजन लेवल था 30

कोरोना की दूसरी लहर कहर बनकर आई हैं जिसने कई लोगों की जान ली हैं। लेकिन कई ऐसे गंभीर केस भी आए हैं जिसमें लोगों ने कोरोना से जंग लड़ते हुए मौत पर जीत पाई हैं। इससे जुड़ा एक मामला सामने आया बाड़मेर से जहां गुड़ामालानी नालपुरा निवासी 45 वर्षीय दामी ने गंभीर स्थिति में 27 दिन भर्ती रहते हुए कोरोना पर विजय प्राप्त की। महिला का एचआरसीटी स्कोर 22 और ऑक्सीजन लेवल 30 था। जिला अस्पताल के डॉक्टर विक्रम सिंह ने 27 दिन पहले भर्ती हुई दामी का सफल इलाज किया। विधायक मेवाराम जैन ने डॉक्टर और इनकी पूरी टीम को बधाई दी। डॉ विक्रम सिंह के अनुसार राजकीय अस्पताल की सीनियर जूनियर नर्सिंग पैरामेडिकल स्टाफ की टीम की मेहनत की बदौलत ही इस मरीज की जान बच पाई है।

गुड़ामालानी नालपुरा निवासी दामी (45) पत्नी फोटा खां जिला अस्पताल में 30 अप्रैल को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हुई थी। उसके साथ ही मरीज को बैस सर्किट (वैंटिलेटर से पहले) में ले लिया था। इमरजेंसी से मेडिकल कॉलेज के गर्ल्स हॉस्टल के वार्ड में शिफ्ट किया गया। डॉक्टर विक्रम सिंह ने मरीज दामी का इलाज किया। बुधवार को 27 दिन बाद उसे डिस्चार्ज किया गया और अब दामी बिल्कुल स्वस्थ्य हैं।

डॉक्टर विक्रम सिंह बताते हैं कि 30 अप्रैल की रात्रि में जिला अस्पताल में यह मरीज भर्ती हुई थी। उस समय मरीज की स्थिति गंभीर थी। एचआरसीटी स्कोर 22 और ऑक्सीजन लेवल 30 के आसपास था। मरीज को भर्ती होने से 17 दिन तक बैस सर्किट पर रखकर इलाज चलता रहा। इसके 7 दिन बाद हाई फ्लो ऑक्सीजन मास्क पर रखा गया था। फिर इसकी धीरे-धीरे रिकवरी होती गई। मरीज को दो दिन तक हमने बिना ऑक्सीजन के हॉस्पीटल में रोककर रखा। कोई तकलीफ हो जाए या ऑक्सीजन की जरूरत पड़ भी जाए लेकिन दो दिन तक ऑक्सीजन की जरूरत नही पड़ी।

डॉ विक्रम सिंह का कहना है कि बैस सर्किट गले में नली डालकर कृत्रिम ऑक्सीजन देने का तरीका हैं। वैंटिलेटर पर शिफ्ट करने से पहले पेशेन्ट को बैस सर्किट पर रखा जाता है। वो ट्यूब डालकर रखते है लेकिन इस बार हमारे प्रिंसिपल ने एक तरीका बताया था कि मास्क को बैस सर्किट से कनेक्ट करके उस पर मरीजों को रखें। यह तरीका बहुत ही कारगर साबित हुआ है।