भारतवर्ष एक लम्बे समय तक अंग्रेजों के अधीन रहा है और इस अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी पाने के लिए कई क्रांतिकारियों को अपनी जान तक की क़ीमत चुकानी पड़ी है। स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए कई तरह की क्रांतियाँ हुईं जिसमें से एक रही ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ जिसके मुख्य सुत्राधार महात्मा गाँधी थे। इसका आरम्भ 9 अगस्त सन 1942 में हुआ था। इस आन्दोलन की असफलता का कारण बना था नेतृत्व का अभाव। क्योंकि अंग्रेजों ने महात्मा गांधी को तो जेल में भेज दिया था, इसके पीछे से आन्दोलन में नेतृत्व का अभाव था और इस नेतृत्व का बीड़ा उठाया आम जनता ने। आइये जानते हैं इसके पीछे की कहानी।
ब्रिटिश सरकार को भारत-बीर्मा सीमा पर जापानी सेनाओं का विरोध झेलना पड़ रहा था। इस समय गाँधी समेत कई कांग्रेसी नेताओं को पकड़ कर ब्रिटिश शासन ने जेल में डाल दिया। सभी अग्रसर नेताओं को जेल में डाल देने पर उस समय के युवा कांग्रेस नेता अरुणा असफ अली ने एआईसीसी सेशन की अध्यक्षता की और 9 अगस्त को झंडा फहराया। इसके बाद कांग्रेस पार्टी पर पाबंदी लगा दी गयी।
कांग्रेसी नेताओं पर इनती ज्यातियों को देख कर लोगों के दिलों में इनके प्रति सहानुभूति की भावना आने लगी। हालाँकि इस समय कोई ऐसा नेता नहीं था जो ब्रिटिश हुकूमत के इन फैसलों का विरोध कर सके किन्तु जल्द ही ख़ुद ब ख़ुद आम लोग सड़क पर आये और अपने विरोध दर्ज कराया। विशेष नेतृत्व न होने की वजह से ही लोगों का विरोध कहीं कहीं हिंसक रूप भी लेने लगा था।