GST के 18 महीने पूरे होने पर मंगलवार को वित्तमंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिए कि सभी वस्तुएं और सेवाएं जीएसटी के एक ही टैक्स स्लैब में आ सकती हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में 12 फीसदी और 18 फीसदी टैक्स स्लैब को मर्ज करने के रोडमैप पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कर राजस्व में अच्छी बढ़ोतरी होने पर देश में GST की तीन दरें रह जाएंगी, जिसमें 0 फीसदी और 5 फीसदी की दर के साथ सामान्य जरूरत की वस्तुओं पर एक मानक दर होगी जो 12 से 18 फीसदी के बीच होगी। जेटली ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि जल्द ही 28% टैक्स स्लैब से कुछ लग्जरी सामान और सिन आइटम्स (गुटखा, सिगरेट और तंबाकू) को छोड़कर बाकी वस्तुएं बाहर की जाएंगी।
अपने लेख में उन्होंने कहा कि इस समय उपयोग की कुल 1,216 वस्तुओं में से 183 पर 0 फीसदी, 308 पर 5 फीसदी , 178 उत्पादों पर 12 फीसदी और 517 पर 18 की दर से जीएसटी लगता है। उन्होंने कहा, " 28 फीसदी का कर स्लैब अब खत्म हो रहा है।" वर्तमान में इसमें सिर्फ लग्जरी एवं अहितकारी उत्पादों के अलावा वाहनों के कलपुर्जे, एसी और सीमेंट समेत केवल 28 वस्तुएं ही बची हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में , " जीएसटी के रूप में परिवर्तन पूरा होने के साथ अब हम इसकी दरों को तर्कसंगत बनाने के पहले चरण को पूरा करने के करीब हैं। उदाहरण के लिये विलासिता और अहितकारी वस्तुओं को छोड़कर बाकी वस्तुएं को चरणबद्ध तरीके से 28 फीसदी के उच्चतम कर के दायरे से बाहर की जा रही है। "
बताते चले 22 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक में 23 वस्तुओं ओर सेवाओं पर टैक्स घटाने का फैसला लिया गया था। बैठक के बाद जेटली ने बताया था कि अब 28% स्लैब में केवल 28 वस्तुएं हैं। इसमें 32 इंच तक के मॉनिटर और टीवी स्क्रीन, रीसोल किए गए पुराने या न्यूमेटिक टायर, लीथियम आयन बैट्री वाले पावर बैंक, डिजिटल कैमरा, वीडियो कैमरा रिकॉर्डर, वीडियो गेम कंसोल समेत कई वस्तुओं पर टैक्स घटाने का फैसला किया गया।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद ने शनिवार को 23 वस्तुओं पर कर की दरों में कटौती की थी। वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी लागू होने से पहले अधिकतर वस्तुओं पर 31 फीसदी का कर लगता था। लोगों के पास केवल दो ही विकल्प थे- या तो ज्यादा कर का भुगतान करें या फिर कर चोरी। उन्होंने कहा कि उस समय काफी हद तक कर चोरी का बोलबाला था। उन्होंने जीएसटी के मामले में सरकार के आलोचकों पर तंज कसते हुए किहा, ‘‘ जिन लोगों ने भारत को 31 फीसदी अप्रत्यक्ष कर के बोझ के नीचे दबा रखा था और जो जीएसटी का उपहास करते रहे हैं उन्हें अपने अंदर झांकना चाहिए।’’
भारत में दुनिया का सबसे बुरा टैक्स सिस्टम थाजेटली ने लिखा, भारत में दुनिया का सबसे बुरा टैक्स सिस्टम था। राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही भारी-भरकम टैक्स लगाते थे। पिछले समय में 17 ऐसे टैक्स लगते थे। टैक्स के रेट भी काफी अधिक थे। वैट और एक्साइज का स्टैंडर्ड रेट 14.5 और 12.5 फीसदी था। इस तरह अधिकतर वस्तुओं पर टैक्स 31 फीसदी हो जाता था।
डेढ़ साल में 198 वस्तुएं 28% टैक्स स्लैब से बाहर1 जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हुआ तो 28% टैक्स स्लैब में 226 वस्तुएं थीं। डेढ़ साल में इनमें से 198 वस्तुओं पर टैक्स कम किया गया है। अभी 28% जीएसटी स्लैब में 28 वस्तुएं हैं। इनमें सीमेंट के अलावा वाहन, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, याट, एयरक्राफ्ट, कोल्ड ड्रिंक्स, तंबाकू, सिगरेट और पान मसाला जैसी वस्तुएं शामिल हैं।