वित्त मंत्रालय ने दी सफाई, सोने की एमनेस्टी को लेकर कोई योजना नहीं, खबरें महज अटकलें

केंद्र सरकार ने सोने की एमनेस्टी स्कीम से जुड़ी खबरों का खंडन किया है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक गुरुवार को वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग सोने की एमनेस्टी को लेकर किसी योजना पर काम नहीं कर रहा है। जैसा कि बजट प्रक्रिया जारी है, आमतौर पर ऐसी अटकलें लगाई जाती हैं। दरअसल, इससे पहले सरकार के सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया था कि कालेधन से सोना खरीदने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार योजना ला रही है। इस योजना का नाम एमनेस्टी स्कीम (Amnesty Scheme) है। इस स्कीम के तहत गोल्ड की कीमत तय करने के लिए वैल्यूएशन सेंटर से सर्टिफिकेट लेना होगा। बगैर रसीद वाले जितने गोल्ड का खुलासा होगा उस पर सरकार को टैक्स देना होगा। ये स्कीम एक खास समय सीमा के लिए ही खोली जाएगी। स्कीम खत्म होने के बाद तय मात्रा से ज्यादा गोल्ड पाए जाने पर भारी जुर्माना देना होगा। टैक्स की दर 30% और सेस के साथ 33% होने की बात कही गई थी। सॉवरेन बॉन्ड स्कीम के तहत इन्डिविजुअल और एचयूएफ को डीमैट फॉर्म में 4 किलो और ट्रस्ट को 20 किलो तक सोना रखने की अनुमति की बात कही गई थी। सरकार के इस कदम को नोटबंदी के बाद कालेधन के खिलाफ सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा था।

एक अनुमान के मुताबिक, भारतीयों के पास मौजूद सोने का स्टॉक करीब 20 हजार टन से ज्यादा है। हालांकि, गलत तरीके से आयात किए गए सोने के मिला लिया जाए तो इसकी मात्रा 25 से 30 हजार टन तक हो सकती है। मौजूदा दर के मुताबिक, इस सोने की कीमत क्रमश: 1 से 1.5 ट्रिलियन डॉलर होगी।