जर्मनी : कोरोना से 24 घंटे में 206 मौतें, मरने वालों का आंकड़ा पहुंचा 2017

कोरोना वायरस (Coronavirus) के मामले जर्मनी में पिछले तीन दिनों में काफी तेजी से बढ़े है। दो हफ्ते पहले जर्मनी की सरकार ने संक्रमण के मामलों को कम करने के लिए प्रतिबंध लगाए थे और लोगों से इसे सख्ती से पालन करने को कहा था। लेकिन इसके बावजूद बुधवार को वायरस के संक्रमण के मामलों में 4,288 का इजाफा दर्ज किया गया। ये आंकड़े जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने जारी किए हैं। इसके पहले वायरस के संक्रमण में यहां एक दिन में 3,252 का इजाफा दर्ज किया गया था। जर्मनी में वायरस संक्रमण का मामला बढ़कर 107,659 हो गया है। जर्मनी कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोपिय देशों में से एक है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी में वायरस के संक्रमण की चपेट में आकर 24 घंटों में 206 लोगों की मौत हो गई है। इसके पहले के 24 घंटों में 226 मौतें दर्ज हुई थीं। जर्मनी में मरने वालों का कुल आंकड़ा 2,017 तक पहुंच गया है।

संक्रमित लोगों की संख्या इटली और स्पेन के बराबर

बता दे, मार्च के दूसरे सप्ताह की बात है, यूरोप कोरोना वायरस का नया केंद्र बनता जा रहा था। चीन से हटकर पूरी दुनिया का ध्यान यूरोप पर केंद्रित हो गया था। आने वाले दिनों में ये साबित भी हो गया, इटली, स्पेन, फ़्रांस और ब्रिटेन जैसे देश इसकी चपेट में आ गए। आज आलम ये है कि इन चारों देशों में हालात काफ़ी मुश्किल बने हुए हैं। उस दौर में जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल का एक बयान आया था, जिसने जर्मनी के लोगों को सकते में डाल दिया था। एंगेला मर्केल ने कहा था कि जर्मनी की 70% आबादी यानी क़रीब 5 करोड़ 80 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकते हैं। जब एंगेला मर्केल ने ख़ुद को क्वारंटीन किया, तो लगा जर्मनी (Germany) में भी हालात इटली (Italy) और स्पेन (Spain) जैसे हो सकते हैं। लेकिन क़रीब एक महीने बाद जहाँ इटली, स्पेन, फ़्रांस और ब्रिटेन में हर दिन सैकड़ों लोगों की मौत हो रही है, जर्मनी इन सबसे काफ़ी दूर है। देखा जाए तो जर्मनी में संक्रमित लोगों की संख्या इटली और जर्मनी के आसपास की है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़ जर्मनी में संक्रमित लोगों की संख्या 107,000 के आसपास है, जबकि ये संख्या इटली में 135,000 और स्पेन में 141,000 है।

मौत का अंतर ज्यादा

लेकिन इस वायरस से होने वाली मौत का अंतर बहुत ज्यादा है। स्पेन में जहां 14000 और इटली में 17000 से ज्यादा मौते हो गई है वहीं, जर्मनी में 2000 लोगों की मौत हुई है। जानकारों का कहना है कि जर्मनी ने जनवरी के शुरू में ही टेस्ट करने की तैयारी कर ली थी और टेस्ट किट डेवेलप कर लिया था। जर्मनी में कोरोना का पहला मामला फ़रवरी में आया था, लेकिन उसके पहले ही जर्मनी ने पूरे देश में टेस्ट किट्स की व्यवस्था कर ली थी। इसका नतीजा ये हुआ कि दक्षिण कोरिया की तरह न सिर्फ़ ज़्यादा टेस्टिंग हुई बल्कि उस हिसाब से लोगों को अस्पतालों में भर्ती भी कराया गया।

टेस्टिंग टैक्सियाँ चलाई गई

जर्मनी के कई शहरों में टेस्टिंग टैक्सियाँ भी चलाईं गई, जो लॉकडाउन के दौर में लोगों के घर-घर जाकर टेस्ट करती हैं। इससे समय पर लोगों को इलाज कराने में आसानी हुई, जिनमें शुरुआत में यूरोप के कई देश चूक गए। जर्मनी ने एक सप्ताह में लाख से ज़्यादा लोगों तक की टेस्टिंग की। समय पर टेस्ट करने का फ़ायदा ये हुआ कि लोगों का इलाज भी समय पर हुआ। लोगों को समय से आइसोलेशन में रखा गया और इसके बेहतर नतीजे देखने को मिले। जर्मनी ने टेस्टिंग के साथ-साथ ट्रैकिंग को भी उतनी ही प्राथमिकता दी। यूरोप के कई देश और अमरीका भी इसमें चूक गया। लेकिन जर्मनी ने दक्षिण कोरिया से ट्रैकिंग के बारे में भी सबक सीखा। जानकार भी कहते हैं कि टेस्टिंग के साथ-साथ ट्रैकिंग में भी सरकारों को उतना ही सख़्त रवैया अपनाना चाहिए।