विकास ने एनकाउंटर से पहले किए थे चौकाने वाले खुलासे, कई पुलिसवाले और बड़े नेताओं के लिए नाम

कानपुर शूटआउट का मुख्य आरोपी और 5 लाख का इनामी विकास को 9 जुलाई को उज्जैन में महाकाल मंदिर में गार्ड ने पकड़ा लिया था। यहां पुलिस ने हिरासत में लेकर उससे 8 घंटे तक पूछताछ की थी। उसके बाद यूपी एसटीएफ उज्जैन पहुंची और शाम करीब 6 बजे विकास को लेकर सड़क मार्ग से कानपुर के लिए निकली थी। शुक्रवार सुबह 6:30 बजे कानपुर से 17 किमी पहले भौंती में पुलिस की गाड़ी पलट गई। इसमें विकास भी बैठा था। वह हमलाकर भागने की कोशिश में मारा गया।

विकास एनकाउंटर से पहले अपने कबूलनामे में कई मददगारों के नाम उजागर किए थे। कहा था कि 50 से ज्यादा पुलिसवालों ने उसकी अब तक मदद की है। इसमें 3 एडिशनल एसपी और 2 आईपीएस अफसरों के नाम भी शामिल हैं। यहीं नहीं, उसे जुबानी सभी नाम याद थे और कौन कहां पोस्ट है, यह भी बताया था। विकास ने कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के कई नेताओं के नाम लिए। कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के बड़े नेताओं के नामों का भी खुलासा किया तो साथ बैठे लोग एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे थे। चेहरे पर मुस्कान लिए विकास ने कहा- गुस्से में बिकरुकांड हो गया। आप लोग (पुलिसवाले) जेल भेज भी देंगे तो कुछ महीने या साल में जमानत मिल जाएगी। उसने दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्र से अपनी चिढ़ का राज भी खोला। कहा कि सीओ उसे हद में रहने की बात करते थे। लेकिन वह चाहता था कि उसके गांव, आसपास के इलाके और थाने पर सिर्फ उसका ही राज चले। पुलिस का दखल मुझे पसंद नहीं था। विकास ने यही बात उज्जैन में भी पूछताछ के दौरान कही थी। बताया कि सीओ उसे लंगड़ा कहते थे। मेरे क्षेत्र में मुझे ऐसा कोई कैसे कह सकता था। इसलिए सोच रखा था कि इसे निपटाऊंगा।

ऐसे में जब पुलिस ने विकास से पूछा कि सीओ से चिढ़ थी, इसमें अन्य पुलिसवालों का क्या दोष था? इस सवाल के जवाब में विकास ने पाश्चाताप जताया। उसने कहा कि गुस्से में इतना बड़ा कांड हो गया। लेकिन इतनी बड़ी कार्रवाई हो जाएगी, इसका भी अंदाजा नहीं था। उसे लग रहा था कि उसके 'खास लोग' उसे बचा लेंगे। रास्ते में वह कई बार खुद पुलिसवालों से पूछता रहा कि आगे क्या करने वाले हैं। विकास को लगता था कि पुलिस उसे जेल भेजेगी। इसीलिए वह मुतमईन था कि वह कुछ माह या सालभर में जमानत पर जेल से बाहर आ जाएगा।

बता दे, कानपुर के चौबेपुर थाना के बिकरु गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। अगली सुबह से यूपी पुलिस विकास गैंग के सफाए में जुट गई। विकास दुबे को गिरफ्तार करने के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और मध्य प्रदेश की पुलिस अलर्ट मोड पर थी। खुद यूपी में उसकी तलाशी करने के लिए 100 से ज्यादा पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही थीं। इसके बावजूद भी वह दिल्ली और फरीदाबाद होते हुए मध्य प्रदेश के उज्जैन में पहुंच गया था। गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर के अंदाज में विकास की गिरफ्तारी हुई थी। शुक्रवार सुबह कानपुर से 17 किमी पहले पुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया।

बता दें कि गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और दिग्विजय सिंह की एक ही भाषा सुनाई दे रही है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उसकी उज्जैन में एंट्री को लेकर उमा भारती ने जो सवाल किए थे उनका दिग्विजय सिंह ने समर्थन किया है। दिग्विजय सिंह ने उमा भारती के सवालों को बिल्कुल सही करार देते हुए कहा है कि उन्हें नहीं लगता बीजेपी में उमा भारती के सवालों का कोई जवाब देगा।